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________________ "हमारी अयोग्यता इस बुनियादी तत्त्व को गलत अर्थ देने का साधन नहीं होना चाहिए।" "हाँ ठीक है। इसीलिए लक्ष्मीनारायण, सीता-राम, उमा-शंकर कहते हैं। है न?" "दुनिया का सिरजनहार परमात्मा अपना कार्य, यह स्ष्टि, करके उसकी इस विविधिता और विचित्रता को देखकर सन्तोष पाता होगा।" "हम सब जब उसकी सन्तान हैं तब उसे सन्तोष ही होगा। मुझे एक नया अनुभव आज हुआ है, हेग्गड़ेजी।" बोकिमय्या ने कहा। दोनों शिष्य गुरूजां की बात सुनकर उनका ओर देखने लगे। उनकी उस दृष्टि में उस नये अनुभव की बात सुनने का कुतूहल शा। बोकिमय्या को इसका भान हुआ तो उन्होंने कहा, "नन्दी के सींगों के बीच से वहाँ के शिवलिंग को क्यों देखना चाहिए, यह मेरे मन में एक समस्या है।" "आपने भी देखा था?' मारसिंगय्या ने प्रश्न किया। "इसके पहले नहीं देखा था। यहाँ नन्दी के सामने तो लिंग है नहीं। फिर भी परिक्रमा के बाद आपने सींगों पर उँगलियाँ रखकर उनके बीच में से क्या देखा, सो तो मालूम नहीं पड़ा। आपकी यह क्रिया भी मुझे विचित्र लगी। इसीलिए मैंने भी देखा।" "आश्चर्य की बात यह है । आँखों को चकचौंधया देनेवाला प्रकाश दिखाई पड़ा मुझे !" "तब तो आप धन्य हुए, कधिजी? शिव ने आपको तेजोरूप में दर्शन दिया।" "तेजोरूप या ज्वालारूप?" "मन्मथ कामदेव के लिए यह ज्वाला है। भक्तों के लिए वह तेजोरूप है। इसलिए ईश्वर आपसे प्रसन्न है।'' मारसिंगय्या ने कहा। "जिनभक्त को शिव साक्षात्कार?" "यही तो है भिन्नता में एकता। इसके ज्ञान के न होने से ही हम गडबड़ में पड़े हुए हैं। जिन, शिव, विष्णु, बुद्ध, सब एक हैं। आपको जो साक्षात्कार हुआ वह केवल मानव मात्र को हो सकनेवाला देव साक्षात्कार है, वह जिनभक्त को प्राप्त शित्र साक्षात्कार नहीं।" "बहुत बड़ी बात है। मैं आज का यह दिन आजीवन नहीं भूल सकता, हेगड़ेजी। आपकी इस अम्माजी के कारण मुझे महान् सौभाग्य प्राप्त हुआ।" "असूया-रहित आपके विशाल मन की यह उपलब्धि है। इसमें और किसी का कुछ भी नहीं। चलें, अब उतर चलें।" मारसिंगय्या ने सूचित किया। "अप्पाजी, मैंने नन्दी के सींगों के बीच से नहीं देखा। यों ही चली आयी। एक बार फिर परिक्रमा कर देख आऊँ?'' शान्तला ने पूछा। पट्टमहादेवी शान्तला :: 91
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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