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________________ " जाने दो, वह कुछ भी समझ ले जैसा तुमने कहा, उसका स्वभाव ही ऐसा है। अच्छा, तुम्हारी माँ ने कहा है कि राजकुमार ने तुम्हें एक आश्वासन दिया है। क्या यह सच है ?" "हाँ, सच है।" "उनके इस आश्वासन पर तुम्हें विश्वास है ?" 'अविश्वास करने लायक कोई व्यवहार उन्होंने कभी नहीं किया।" "1 44 'तो तात्पर्य यह कि तुम्हें उनके आश्वासन पर भरोसा है, है न?" 44 'क्या आप समझते हैं कि वह विश्वसनीय नहीं ?" "न, न, ऐसी बात नहीं बेटी । तुम जिसे चाहती हो यह तुम्हारा बने और उससे तुम्हें सुख मिले, इसके लिए तुममें विश्वास दृढ़ होना चाहिए। मुझे मालूम है कि तुम उनसे प्रेम करती हो। वस्तु तुम उनके व्यक्तित्व से आकर्षित होकर प्यार करती हो या इसलिए प्यार करती हो कि वे महाराज बनेंगे, यह स्पष्ट होना चाहिए।" "पिताजी, पहले तो म के कहे अनुसार मुझे महारानी बनने की आशा थी । परन्तु अब सबसे अधिक प्रिय मुझे उनका व्यक्तित्व है।" 14 . 'ठीक, जब तुमने सुना कि वे युद्धक्षेत्र में गये, तब तुम्हें कैसा लगा बेटी ?" " कौन ? जब बड़े राजकुमार गये तब ?" "हाँ, बेटी ।" "मुझे भय और सन्तोष दोनों एक साथ हुए, पिताजी ।" ''बड़ी अच्छी लड़की, तुमने भय और सन्तोष दोनों को साथ लगा दिया, बताओ तो भय क्यों लगा ?" "उनकी प्रकृति कुछ कमजोर है इसलिए यह सुनते ही भय लगा । परन्तु बह भय बहुत समय तक न रहा, क्योंकि ऐसे समय की वे प्रतीक्षा करते थे। मेरा अन्तरंग भी यही कहता था कि उन्हें वांछित कीर्ति मिलेगी ही, उनकी उस कीर्ति की सहभागिनी मैं भी बनूँगी, इस विचार से मैं सन्तुष्ट थी।" 44 'ठीक है, बेटी, अब मालूम हुआ कि तुम्हारी अभिलाषा क्या है। तुममें जो उत्साह है, सो भी अब मालूम हुआ तुम्हारी भावना जानकर मुझे भी गर्व हो रहा है। परन्तु, तुम्हें अपनी इस उम्र में और भी ज्यादा संयम से रहना होगा। कठिन परीक्षा भी देनी पड़ सकती है। इस तरह के आसार दिखने लगे हैं। एकदम ऐसी स्थिति आ जाने पर पहले से उसके लिए तुम्हें तैयार रहना होगा। यही बात बताने के लिए तुम्हें बुलाया हैं, बेटी सम्भव है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ही न हो पर हो ही जाय तो उसका सामना करने को हमें तैयार रहना चाहिए। " "पिताजी, आपने जो कुछ कहा, वह मेरी समझ में नहीं आया। और ये आप चुप क्यों हो गये ?" 404 :: पट्टमहादेवी शान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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