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________________ 41 " 'आप पूछेंगे नहीं तो मैं मानूँगी नहीं।' " उससे तुम्हारी शान्ति भंग हो जाएगी। " " आपको शान्ति मिल सकती हो तो मेरी शान्ति भंग होने में भी कोई हर्ज नहीं । पूछ ही लीजिए।" "तुम चाहती हो कि में तुमसे कुछ पृछे ठी ता तुम्हें अपनी बच्चियों की क्रसम खाकर सत्य ही बोलना होगा।" " मेरे ऊपर विश्वास न रखकर कसम खिलाने पर जोर देते हैं तो वह भी सही । मैं और क्या कर सकती हूँ?" "न, न, तुम्हें बाद में पछताना पड़ेगा। जो है सो रहने दो। चार-पाँच दिन बाद सम्भव है, मेरा ही मन शान्त हो जाए। इस तरह जबर्दस्ती लिये गये वचन निरर्थक भी हो सकते हैं। " " 'तब तो बात और भी बहुत जरूरी मालूम होती है। पूछिए, बच्चों की कसम, सत्य ही बोलूँगी। मुझसे अब ऐसी स्थिति में रहा नहीं जाता।" "नहीं, नहीं देख लो, कसम खाकर झूठ बोलीं तो बच्चों का अहित होगा । अपनी बच्चियों के हित के लिए जाने तुप क्या-क्या करती हो, अब तुम ही उनकी बुराई क्यों करोगी ?" "तो क्या आप यही निश्चय करके कि मैं झूठ ही बोलूँगी, यह बात कह र हैं? आपको जिम झूठ का भय है उसका सत्यांश भी तो आपको मालूम होना चाहिए।" "हाँ, मालुम है।" 14 'तो सत्य आप ही कह दीजिए। मैं मान लूँगी। उस हालत में बच्चियां पर कसम खाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।" " उसे सुनकर हजम कर लेने के लायक ताकत तुममें नहीं है। इसलिए अब यह बात ही छोड़ा।" 14 'तो मतलब यह कि आप कहना ही नहीं चाहते हैं। जैसी आपकी इच्छा। जब कहने की आपकी इच्छा हो तब कहें।" कहकर चामव्यं वहाँ से उठकर बाहर आ खड़ी हुई। चार-छ: क्षण लहरी, शायद बुलाएँ। कोई आवाज नहीं आयी तो अपनासा मुँह लेकर अपने शयनागार में आयी। पलंग पर बैठ वह सोचने लगी। दोपहर के ढंग और अबको रीति में जमीन-आसमान का फरक था। दोपहर को जो मानसिक समाधान उनमें रक्षा वह अब नहीं है। जो विषय लेकर वे चिन्तामग्न हुए हैं उसपर पूर्ण जिज्ञासा करने के बाद एक निश्चित निर्णय पर पहुँच सके हैं, ऐसा प्रतीत होता है । इसलिए उनकी प्रत्येक बात निश्चित मालूम पड़ रही है। बच्चों की कसम खाकर सत्य कहने की बात पर जोर देने में लगता है कि कोई खास महत्त्व की घटना जरूर घटी inx पट्टमहादेशान्तला
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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