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________________ की आवाज सुन पड़ी। डरते-डरते धीरे से झाँका । यह आदमी उस धोबिन चेन्नी के बदन-से-बदन सटाकर बैठा था। मुझे घृणा आ गयी। वैसी ही खिसककर ऐसे रास्ते से निकल आयी जिससे कोई न देख सके और सोधी घर पहुँच गयी।" " ठीक, यह बात तुमने और किसी से कही है ?" F+ 'अपनी बहिन से कही । " जब तुम्हें मालूम था कि यह की "वहीं पहले-पहल देखा मैंने इसे।" " और भी कभी देखा था इसे ?" "नहीं, मालिक।" "अच्छा, तुम बैठो, यहीं रहो।" हरिहरनायक ने कहा । दासब्बे अपनी जगह जा बैठी । धोबिन चेन्नी के साथ सटकर बैठे रहने की बात सुनने के बाद, सो भी गाँव के बाहर एक उस मण्डप में, बूतुग अपने आप से कहने लगा- अरे बदमाश, ऐसी चाण्डाल औरत के साथ यह आदमी, खुजली - खाज लगा कुत्ता भी उसके पास जाने से हिचकता है। ऐसी औरत से यह सटकर बैठा था। कैसा धूर्त बदमाश है ! हमारे गाँव की लड़कियों का सौभाग्य अच्छा था। भगवान ने ही बचा लिया। उसके बाद लेंक की गवाही हुई, "बूतुग के प्रयत्न से अपनी साली को दिखाने पर राजी हुआ, एक सप्ताह पहले। परन्तु परसों रात को हेग्गड़ेजी के पास जो रहस्यमय समाचार आया तो उसे पकड़ने के लिए नियोजित जत्थे में मुझको भी शामिल होना पड़ा। परन्तु तब तक ब्रूतुग के कहे अनुसार इसे अच्छा आदमी समझता रहा क्योंकि तब तक मुझे यह मालूम नहीं था कि वह व्यक्ति यही है। उस धोबिन चेन्नी से इसके बारे में और ज्यादा बातें मालूम पड़ीं। चाहें तो उसी से दर्याप्त कर सकते हैं, मुझसे बताने को कहें तो मैं भी तैयार हूँ।" लेंक ने कहा । "नहीं, उसी से सुनेंगे। हेग्गड़ेजी, उसे बुलाया है ?" हरिहरनायक ने पूछा। "वह गाँव में नहीं, सुना है कि ताडगुन्द गयी है।" हेगड़े ने उत्तर दिया । "रहने दें, हेगड़ेजी। लेक, उसके कथन में मुख्य विषय क्या है ?" 'इसकी लम्पटता। इसकी लम्पटता के लिए उसने जो साथ दिया और इस साथ 41 देने के लिए उसे जो धन दिया गया और उसे जो लालच दिखाया गया।" "ऐसी हालत में उसे बुलवाना ही पड़ेगा। उसीसे इस विषय को जानना चाहिए। हैग्गड़ेजी अभी किसी को भेज ताडगुन्द से उसे बुलाइए। कम-से-कम कल वह यहाँ रहे।" हेगड़े ने रायण को उसे बुला लाने का आदेश दिया। "ठीक है, लेंक, तुम्हें इस आदमी के बारे में और कोई बात मालूम है ?" "याद नहीं।" 44 228 : पट्टमहादेवी शान्तला 1 "
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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