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________________ "कहिए।" "आपकी शादी हो गयी?" गालब्चे ने पूछा। "लड़की देखने के लिए आया हूँ।" उसने उत्तर दिया। दोनों साथ-साथ आगे बढ़े। "पक्की हो गयी?" "कोई पसन्द ही नहीं आयी।" "तो शादी लायक सभी लड़कियाँ देख लीं।" "कल किसी ने बताया था, अभी एक लड़की और है और वह बहुत सुन्दर "तब तो उसे देख चुकने के बाद आप दूसरे गाँव जाएंगे।" "क्यों?" "ऐसे ही रोज एक लड़की को देखना और उनके यहाँ खाते-पीते..." "ओह-हो, मैंने तुमको कुछ और समझा था। तुम तो मेरा रहस्य ही समझ गयीं।" "आपका रहस्य क्या है, मैं नहीं समझी।" "वही रोज एक लड़की...।" उसके कन्धे पर हाथ रखकर वह हँस पड़ा। हाय, कहकर वह दो कदम पीछे हट गयी। "क्यों, क्या हुआ?" "इस अंधेरे में पता नहीं पैर में क्या चुभ गया। तलुवे में बड़ा दर्द हो रहा है। कहाँ है वह रास्ता जिसे आपने बताया था? अभी तक नहीं मिला वह ?" "इस मण्डप में थोड़ी देर बैठेंगे, जब तुम्हारे पैर का दर्द कम हो जाएगा, तब चलेंगे।" "ऐसा ही करें। मुझे सर्दी भी लग रही है।" "हाँ, आओ।" उसने अपनी पगड़ी उतारी और एण्डप की अमीन उसी से साफ करके वही बिछा दी। "हाय हाय, ऐसी अच्छी जरी की पगड़ी ही आपने बिछा दो!" "तुम्हारी साड़ी बहुत भारी और कीमती है। बैठो, बैठो।" कहते हुए उसका हाथ खींचा और खुद बैठ गया। वह भी धम्म से बैठ गयी। "जरा देखें, काँटा किस पैर में चुभा है।" कहता हुआ वह उसके और पास सरक आया। "अजी, जरा ठहरो भी। खुद निकाले लेती हूँ।" उसने लम्बी साँस ले हाथ इस तरह ऊपर किया कि उसकी कोहनी उस आदमी की नाक पर जोर से लगी। "हाय" उस व्यक्ति की चीख निकल गयी। पट्टमहादेवी शान्तना :: 2।।
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
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