SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'ये फूल कौन-से हैं, तुम्हारे बालों में बड़ी सुगन्ध है !" "येशु के फूए हैं " 'मुझे इस बात का आश्चर्य है कि वे तुम्हें अकेली छोड़कर कैसे चले गये। ये कैसे लोग हैं ?" -+1 in 'मैं साहसी हूँ, घर तो पास ही है, पूछताछ कर आ ही जाएगी, यह समझकर चले गये।" कहती हुई गालब्बे बहीं रुक गयी। पूछा, "यह क्या है, इतनी दूर चलने पर भी आपको बतायी वह राह मिली नहीं ?" " मेरी राह यहीं नजदीक है।" करते हुए उसने गालब्बे का हाथ पकड़ लिया और अपने पास खींच लिया। "छिः छिः ! यह क्या दिल्लगी है, हाथ छोड़ो।" "वहाँ गड्ढा है। कहीं उसमें पैर न पड़ जाए इसलिए हाथ पकड़ा है।" फिर उसका हाथ छोड़कर कहा, "डरो मत, आओ जो जगह मैंने बतायी है वह यहीं पास में है।" और आगे बढ़ा। गालब्बे वहीं रुक गयी । "क्यों, वहीं खड़ी हो गयीं? यदि तुम्हें अपने रास्ते नहीं पहुँचना तो मैं अपना रास्ता लेता हूँ । बुलाया, इसलिए पास आया। नहीं चाहती तो लौट जाऊँगा । बाद में शाप न देना ।" उसकी आवाज कड़ी थी और कहने का ढंग ऐसा था मानो आखिरी चेतावनी दे रहा हो । गालब्बे जवाब देना चाहती थी, पर घबराहट में उसके मुँह से बोल ही न फूट सके। उस आदमी ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया। वह हाय-तौबा करने लगी । "तुम कितनी ही जोर से चिल्लाओ, यहाँ सुननेवाला कोई नहीं। गाँव यहाँ से दूर है।" उस आदमी ने कहा । "हाय, फिर मुझे यहाँ क्यों ले आये ?" घबराकर गालब्बे ने पूछा। " जैसा मैं कहूँ वैसा मान जाओ तो तुम्हें कोई तकलीफ न होगी। काम होते ही मैं तुम्हें उस जार लफंगे के घर पहुँचा दूँगा।" कहकर उसने उसका हाथ छोड़ दिया। हाथ को मलती - फुंकती गालब्बे बोली, " आप भले आदमी हैं। पहले मुझे घर पहुँचा दीजिए। फिर अपना काम कर लीजिए।" " तुम अपने गाँव कब जाओगी ?" उसकी आवाज कुछ कोमल हुई। " परसों ।" गालब्बे ने कहा । 41 'एक काम करोगी? कल शाम को अँधेरा होने पर गुप्त रूप से तुम अपनी भाभी को यहाँ बुला लाओगी ?" " "क्यों ?" "यह सब मत पूछो । वह मुझे चाहिए, बस । " 41 'उसकी शादी हो गयी है। उसके बारे में ऐसा कहना ठीक नहीं।" " उसे इन सब बातों की परवाह नहीं।" पट्टमहादेवी शाला: 2ng
SR No.090349
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy