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डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री 28 फरवरी, 1933 को शुजालपुर (शाजापुर) म.प्र. में जन्मे देवेन्द्रकुमार लगभग चौंतीस वर्षों तक मध्यप्रदेशीय उच्च शिक्षाविभाग शासकीय महाविद्यालय में अध्यापन कार्य करते रहे। भारतीय प्राच्य विद्याओं के क्षेत्र में प्राकृत, अपभ्रंश में आपका अध्ययन सराहनीय रहा। इस विषय में अभी तक आपके द्वारा सम्पादित व अनूदित निम्नलिखित ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं1. आचार्य कुन्दकुन्द कृत रयणसार (प्राकृत) 2. आचार्य कुन्दकुन्द कृत वारसाणुवेक्खा (प्राकृत) 3. आचार्य सिद्धसेन कृत सम्मइसुत्तं (प्राकृत) 4. महनन्दिदेव कृत आणंदा (अपभ्रंश) 5. मुनि रामसिंह कृत पाहुडदोहा (अपभ्रंश) 6. अपभ्रंश का बृहत् शब्द-कोश (मुद्रणाधीन) प्रमुख समीक्षात्मक रचनाएँ : 1. भाषाशास्त्र तथा हिन्दी भाषा की रूपरेखा 2. अपभ्रंश भाषा साहित्य की शोध-प्रवृत्तियाँ 3. भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश-कथाकाव्य अन्य रचनाएँ : 1. तीर्थंकर महावीर, 2. जैन धर्म और भगवान् महावीर, 3. महावीर वाणी (संकलन), 4. जिनवर-अर्चना (संकलन), 5. कर्मबन्ध की प्रक्रिया में मिथ्यात्व और कषाय, की भूमिका, 6. मोक्षमार्गप्रकाशक-विशेष समीक्षा, 7. अध्यात्म पंचसंग्रह, 8. चेतनविलास।