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________________ मूलाचार प्रदीप ] ( ४५० ) [ द्वादश अधिकार सही है तथा नरकगति में जो सूख की वेदना सही है, उसके सामने यह मूख कितनी है, कुछ भी नहीं है, इसप्रकार चितवन कर मोक्ष चाहने वालों को संतोष धारण कर भूख से उत्पन्न हुई वेदना को जीतना चाहिये, बिना संतोष के क्षुधा वेदना कभी नहीं जीती जा सकती ।।३१२७-३१३०।। सुनिराज को किस प्रकार के चितवन से तृषा परिषह जीतना चाहिये बहूपवास मार्गश्रमविरुद्धान्नसेवनैः । ग्रीष्मभानुकरेस्तीवापिपासा जायतेयतेः १३३१३१ ।। चिन्तनीयं सन्ना राया परागप्रमुख मया ॥ ३१३२ ।। नर तिर्यग्गतश्वभूप्रदेशनिर्जले बने । इति ध्यानेनयोरः सज्जयतात्तृपरोषम् ।।३१३३ ।। 1 अर्थ - अनेक उपवास करने से, मार्ग के परिश्रम से, विरुद्ध अत्र के सेवन करने से और ग्रीष्म ऋतु में सूर्य को तीव्र किरणों से मुनियों को तीव्र प्यास को वेदना होती है । उस समय उन मुनियों को इसप्रकार चितवन करना चाहिये कि मैंने परवश होकर मनुष्यगति में, तियंचगति में, नरक में और निर्जन वनों में चिरकाल तक बड़ीबड़ी कठिन प्यास की वेदना सही है । इसप्रकार चितवन कर उन धोरवीर मुनिराज को तृषा परीषह जीतनी चाहिये ।।३१३१-३१३३॥ प्यास को शांति के लिये मुख प्रक्षालनादि का निषेधशुष्ठमुख सस्तृषाग्निस्तपितोपिसन्। तच्छात्त्यं जातु न कुर्यान्मुखप्रक्षालनादिकम् ॥ ३१३४, अर्थ - यदि तृषारूपी अग्नि से उन मुनियों के प्रोठ सूख गये हों, मुख सूख गया हो, समस्त शरीर सूख गया हो तथा वे मुनिराज प्यास की अग्नि से संतप्त हो रहे हों तो भी वे उस प्यास की शांति के लिये अपना मुख प्रक्षालन आदि कभी नहीं करते हैं ||३१३४ ॥ मुनिराज को किस प्रकार के चितवन से शीत वेदना जीतनी चाहिये तुषारचहुले शीतकाले चतुःपथाविषु । स्थितस्यशीतवाताचं : शोतवाषापराभवेत् ।। ३१३५।। कारणांपासून नुवरिविणाम् । चिन्तनैः शीतदु क्रोधं सहते दृढ चेतसा ॥ ३१३६ ॥ अर्थ - जिस शीत ऋतु में बहुत हो तुषार पड़ रहा हो, बहुत ठंडी वायु चल रही हो और वे मुनिराज किसी चौराहे पर खड़े हों उस समय उनको शीत को अधिक वेदना होती है । उस समय से मुनिराज नारकियों के पशुओं के और दरिद्री मनुष्यों के शीतजन्य दुःस्यों को चितवन करते हुए अपने चित्त को दृढ़ बनाकर शीत की वेदना को 1
SR No.090288
Book TitleMulachar Pradip
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size14 MB
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