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________________ - - - - मूलाचार प्रदीप ] ( १४६ ) [ तृतीय अधिकार उनके लिये तथा बड़े मुनियों के लिये अन्य मुनियों को नमस्कार करते समय युक्तिपूर्वक सिद्धभक्ति, योगक्ति और शांतिभक्ति पढ़नी चाहिये । तथा भक्त पुरुषों को योगक्ति पढ़कर उनकी प्रदक्षिणा देनी चाहिये ॥८६५-८६६।। भगवान के दीक्षा कल्याणक के समय कौनसी भक्ति करें ? जिननिष्कमणेसिद्धचारित्र योगभक्तयः । योगशांत्याह्वयेभक्ति योगभफ्त्या प्रदक्षिणा ८६७| अर्थ-भगवान के दीक्षा कल्याणक के समय सिद्धभक्ति, चारित्रभक्ति, योगभक्ति और शांतिभक्ति पढ़नी चाहिये तथा योगभक्ति पढ़कर प्रदक्षिणा देनी चाहिये । 1168७॥ सिद्धांत के जानकार प्राचार्य के मरण के समय कौनसी भक्ति करें ? जिम निर्वाण सक्षेत्रे भक्ति सिद्धश्रुतामिषे । चारित्रयोगनिर्वाण शांतिभक्तिप्रदक्षिणा II अर्थ-तीर्थंकरों के निर्वाण क्षेत्रमें जाकर सिद्ध भक्ति, श्रुतभक्ति, चारित्रभक्ति, योगक्ति, निर्वाणभक्ति और शांतिभक्ति पढ़नी चाहिये तथा प्रदक्षिणा भी देनी चाहिये । (प्रदक्षिणा योगभक्ति से दो जाती है) 1 भगवान के ज्ञान कल्याण के समय कौनसी भक्ति पढ़ें ? शानोत्पत्ती महासिद्धश्रुतचारित्रभक्तयः । शातिभक्तिस्तथायोग भवस्या कार्या प्रदक्षिणा || ___ अर्थ-भगवानके ज्ञान कल्याणकके समय महा सिद्धिभक्ति, श्रुतभक्ति, चारित्रभक्ति और शांतिभक्ति पढ़नी चाहिये तथा योगक्ति पढ़ कर प्रदक्षिणा देनी चाहिये । भगवान् वर्धमान स्वामी के निर्वाण कल्याण के दिन कौनसी भक्ति पढ़ें ? श्रीवद्धं माननिर्वाण दिने कार्या क्रियाविधौ । सिद्धनिर्वाण सरपंचगुरुशांत्याल्य भक्तपः ॥१०॥ अर्थ-भगवान वर्द्धमान स्थाभी के निर्वाण के दिन कृतिकर्म को विधि करते समय सिद्धभक्ति, निर्वाणभक्ति, पंचगुरुभक्ति और शांतिभक्ति पढ़नी चाहिये ।।६००। मामान्य' ऋषि के मरण हो जानेपर कौनसी भक्ति पड़े ? सामाग्यषो मृतेंगस्य निषधास्यानकस्य वा। विधेयाः सिद्धयोगश्रीशांतिभलय एव हि ॥६०१।। अर्थ-किसी सामान्य ऋषि के भरण हो जाने पर उनके शरीर के लिये तथा उनके निषद्या स्थान के लिये सिद्धभक्ति, योगभक्ति और शांतिभक्ति पड़नी
SR No.090288
Book TitleMulachar Pradip
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size14 MB
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