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________________ मूलाचार प्रदीप ] ( १३६ ) [ तृतीय अधिकार अर्थ--इस विनयके पांच भेद हैं लोकानुवृत्ति, अर्थ निमित्तक, कामहेतुक भय और मोक्ष संज्ञक ॥८५२॥ लौकिक कार्य सिद्ध करनेवाला (१) लोकानुवृत्ति नामक विनयअम्पुरयान नमस्कारासनदानादिभिः परैः । भाषानुवृत्ति छंचोनुवृतिसद्धोजनाविक: ॥८५३ लोकात्मीकरणाथ यो विनयः क्रियते जनः । लोकानुत्तिलामासविनयः कार्यसाधकः ॥१५५४। अर्थ-दूसरे को देखकर खड़ा होना, उसको नमस्कार करना, उसको प्रासन देना, उसके अनुकल भाषण करना, उसके अनुकल चलना, उनको भोजन देना आदि लोगों को अपना बनाने के लिये जो विनय किया जाता है उसको लौकिक कार्य सिद्ध करनेवाला लोकानुवृत्ति नामका विनय कहते हैं ।।८५३-८५४॥ अर्थ विनय तथा काम विनय का लक्षणअर्थाय यः कृतोलोके विनयः सोऽर्थ संज्ञकः । काभाय कामिभियंश्वसकामविनयोऽशुभः ।।५।। अर्थ-इस लोक में धन कमाने के लिये जो विनय किया जाता है उसको अर्थ विनय कहते हैं कामी पुरुषों के द्वारा जो काम सेवन के लिये विनय किया जाता है उसको अशुभ काम विनय कहते हैं ।।८५५।। भय विनय एवं मोक्ष विनय का स्वरूपभयेनविनयोयोनुष्ठीयते स भयातयः । मोक्षायविनषो योऽत्र समोक्ष विसयो महान् ।।८५६॥ अर्थ-भयसे जो विनय किया जाता है वह भय विनय है और मोक्षके लिये जो विनय किया जाता है वह महान मोक्ष विनय है ॥८५६॥ मुनियों को किस प्रकार के विनय का निषेध-- त्याज्या लोकानुवृत्याद्याश्चत्वारो विनयाः सदा । मोक्षाख्यः पंचमः कार्य विनयोमुनिभिःपरः ।। अर्थ-मुनियों को लोकानुवृत्ति प्रादि चारों प्रकार का विनय सदा के लिये त्याग कर देना चाहिये और पांचवां सर्वोत्कृष्ट मोक्ष नाम का विनय धारण करना चाहिये ॥८५७॥ ___ मोक्ष विनय के ५ भेदवृग्यिवृत्ततपोभेवरुपचारेण पंचधा । मोमाख्यो विनयो योमुक्तिहेतु गुणप्रदा ।।८५८|| अर्थ-यह मोक्ष विनय मोक्षका कारण है और अनेक गुणों को धेनेवाला है
SR No.090288
Book TitleMulachar Pradip
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size14 MB
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