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अनन्त आशीर्वाद के पात्र हैं ।
इस प्रबंधन पुस्तक 'मन्दिर' का प्रभाव भौतिकता में भटके हुये युवक/युवतियों पर अवश्य हुआ है और आगे भी होगा। इसी उद्देश्य को लेकर इस मन्दिर पुस्तक का प्रचार प्रसार हो । अतः इस मन्दिर पुस्तक के अंग्रेजी, कन्नड, गुजराती एवं मराठी में अनुवाद भी शीघ्र तैयार हैं जिससे हर देश - प्रान्त के व्यक्ति इस व्यवहारिक ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।
जिन्होंने इस कृति के प्रकाशन का भार वहन किया वे सभी शुभाशीष के पात्र हैं। इस पुस्तक की लेजर टाईप सेटिंग पवन कुमार जैन ( गदिया ) इण्डिया हाऊस, ब्लॉकए. तीसरा तल्ला, ६९ गणेशचन्द्र ऐवन्यू कलकत्ता- १३ द्वारा बड़ी लगन से सुरेश कुमार झांझरी. झुमरीतिलैया (कोडरमा) बिहार के सहयोग से किया गया। दोनों ही शुभाशीष के पात्र हैं।
इसी के साथ सभी संस्करांगों को प्रकाशित कराने वाले महानुभाव एवं इस पुस्तक का आवरण अर्चित जैन सुपुत्र विजेन्द्रचन्द जैन, नई दिल्ली तथा प्रकाशक एवं मुद्रक चन्द्रा कापी हाऊस, हॉस्पिटल रोड, आगरा (उ. प्र. ) सभी शुभाशीष के पात्र हैं ।
ॐ नमः
सम्मेदाचल - मधुवन जिला - गिरिडीह ( बिहार )
पावन अवसर
परम पूज्य वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज के परम शिष्य पट्टाचार्य, प्रशान्त मूर्ति, मर्यादा शिष्योत्तम १०८ श्री भरत सागर जी महाराज की स्वर्ण जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में अनेकान्त विद्वत परिषद की ओर से विविध प्रकार के पचास आमक सह व्यवहारिक ग्रन्थों का प्रकाशन हो रहा। है ।
Enter yourख्या २२ में " मन्दिर" पुस्तक की ५०,००० प्रतियाँ हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी, गुजराती भाषा के अनुवाद में प्रकाशित करने का लक्ष्य है, जिससे देश-विदेश के प्रत्येक मन्दिरों-घरों में इस पुस्तक से “मन्दिर" के विषय में सही जानकारी मिल सके। इस पुनीत कार्य में आपके सहयोग की आवश्यकता है जिससे मन्दिर पुस्तक घर-घर पहुँच सके !
बसंत पंचमी
ब्रo प्रभा पाटनी, B.A.L.L.B.
संघस्थ आचार्य श्री भरत सागर जी महाराज
१-२-९८
मधुवन, शिखर जी (जि० गिरिडीह) बिहार