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________________ मन्दिर (५६) नहीं की। आप लोग क्यों करते हैं? क्योंकि आप लोगों को अपने कर्म सिद्धान्त के ऊपर विश्वास नहीं है। करणानुयोग के ऊपर विश्वास नहीं है। कितना-कितना अपवाद हुआ सीता का कितनाकितना कष्ट उठाया, कितने सुख और समृद्धि में पली बालिका और शादी होने के बाद जीवन भर दुःख ही दुःख देखा । सुख की एक कणिका भी नहीं थी। और आप लोगों के लिये ऐसा कौन-सा दुःख है ? कौन-सा आपको वनवास हो रहा है, कौन-सा आपका अपवाद हो रहा है? और अपबाद से तो आप डरते ही नहीं हैं। सीधी-सीधी कहते हैं कि जब प्यार किया तो डरना क्या? और बेचारी सीता ने तो कुछ किया ही नहीं था । स्वाध्याय अपवाद हो गया तो घबरा गये मर गये । कायर व्यक्ति मरा करते हैं। संसार में यदि सबसे ज्यादा पाप है तो वह आत्महत्या है। आत्मघाती महापापी। जिसके यहाँ कोई आत्महत्या करता है, उसके यहाँ छः महीने तक सूतक लगता है। छः महीने तक यह दान नहीं दे सकता, पूजा नहीं कर सकता शुभ क्रियाओं द्वारा। मालूम होना चाहिये कि प्रथमानुयोग हमें सम्बल देता है। अच्छे-अच्छे मुनिराजों के लिये जब समाधि मरण का समय आता है, तब समयसार नहीं सुनाया जाता है । उस समय प्रथमानुयोग सुनाया जाता है। समाधि मरण के अन्त समय प्रथमानुयोग अन्तरंग के सम्बल को अवतरित करता है। खोई हुयी शक्ति और साहस को जाग्रत करता है । धन्य-धन्य सुकुमाल महामुनि कैसे धीरजधारी । एक स्थालनी युग बच्चायुत पांव भख्यो दुखकारी ।। यह उपसर्ग सह्यो घर थिरता, आराधन चितधारी । तो तुम्हरे जिय कौन दुःख है मृत्यु महोत्सव भारी ।। प्रथमानुयोग यह बतलाता है कि उन्होंने ऐसे दुःख को कैसे सहन किया? उनके शरीर को छार छार कर दिया, लेकिन इतना दुःख सहन कर गये और तुम इतने से दुःख से घबरा गये। धिक्कार है, धिक्कार है! मानसिक रोग आज के समय में अधिक क्यों हो रहे हैं! अधिक व्यक्तियों ने धार्मिक पुस्तकें पढ़ना बिल्कुल बन्द कर दिया है। मैग्जीन, अखबार, नांबिल, जिनसे टेंशन बनता है, जिनसे हमारे जीवन में सन्देह की भूमिकायें तैयार हो जाती है ऐसी चीज तो पढ़ेंगे। लेकिन जिनसे हमारे जीवन के सन्देह धुलते हैं, जिनके पढ़ने से हमारे जीवन के सन्देह दूर होते हैं, ऐसी पुस्तकें पढ़ने के लिये हमारे पास समय नहीं है। जिन्दगी में चार ग्रन्थों को जरूर पढ़ना चाहिए। एक सम्यक्त्व कीमदी, एक धर्म परीक्षा । प्रथमानुयोगी सम्बन्धी बात बता रहा हूँ। राजा श्रेणिक चरित्र, प्रद्युम्न चरित्र । इन चार ग्रन्थों को यदि आप पढ़ लेंगे तो आपके जीवन में आधे से ज्यादा क्या ? साढ़े निन्यानवे परसेन्ट अन्धेरा भाग जायेगा | यह मैं बड़े विश्वास के साथ कहता हूँ। जो भी धर्म की मान्यताओं में हमारी विपरीत बुद्धि घुस गई है वो अपने आप उजागर हो जायेगा। जब लालटेन जल जायेगी, उजाला हो जायेगा तब आपको वस्तु स्थिति अपने आप व्यक्त हो जायेगी ।
SR No.090278
Book TitleMandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size2 MB
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