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________________ ५ ४७६ १५ १० दिण्णं जेणं' अभयपण भक्तारं धीरं हूं तरस भणामि चरितं चित्तं सीहि उत्तरकूलि रवण्णइ खेमणार धणव पुहईसरु दाह तित्ययरसमीवर अप्परं तेण णिओडे राएं कुपथें जाणियसत्यें जाउ जयंताणुत्तरि सुरवरु भाउ तासु तेत्तीस महोयहि तप्पमाणवि किरियाते एं अहमदगडं महापुराण घता- - जंबूदीषद सुरगिरिपुव्य दिसा सियइ || पुषविदेह पविउलि केवलिभासियम् ।। १ ।। २ घसा - सोहम्माहित भव्ष सासयसिवणयरस पयाणं । णमितं देवं अरमरिहतं । जणियसुरासुर बिसहर चित्तं । कच्छाणाम देसि वित्थण्णइ । रु रमणीसरु बम्मीसरु | झिवि धम्मु णाणसम्भावइ । वेणुकाएं | किस ओवगमणु परमर्थे । कायमाणु तक एक जि फिर कठ । ataणाडि सो पेक्ख साहि । वरण संतु अमेएं । उहि थि छम्मा पाउं । जिणपयरथमहि ॥ [ ६५, १.११ हि कालिहिं आवास सुरवइ धणवइहि || २ | वक्ता हैं, जिन्होंने अभयको प्रदान और शाश्वत शिवनगरको प्रयाण किया है, ऐसे संसारका नाश करनेवाले धीर अरहनाथ अर्हतको नमस्कार कर उनके सुर, असुर और विषधरोंके चित्तको आश्चर्य उत्पन्न करनेवाले विचित्र चरित्रको कहता हूँ । धत्ता - ज - जम्बूद्वीप के सुमेरुपर्वत की पूर्व दिशा केवलोके द्वारा भाषित विशाल पूर्वविदेह में || १ || २ सीता नदीके उत्तरीतटपर फैले हुए सुन्दर कच्छ नामके देशके क्षेमनगर में धनपति नामका राजा था। रूपमें जो स्त्रियोंका स्वामी और कामदेव था, वह बर्हन्नन्दन तीर्थंकर के समीप धर्म समझकर उस राजाने ज्ञानके स्वभाव में अपनेको नियोजित कर लिया। मन बचन कायसे श्रमण होकर, खोटे मार्गको छोड़कर और शास्त्रको जानकर उसने परमार्थं भावसे प्रायोपगमन किया । वह जयन्त विमान देव पैदा हुआ। वहाँ उसके शरीरका प्रमाण एक हाथ था। उसकी आयु तैं तोस सागर प्रमाण थी । अवधिज्ञानी यह फोकनाड़ीको देख सकता था। सन्तप्तमान विक्रिया ऋद्धिके तेज और वीर्य से संयुक्त सुखको बिना किसी मर्यादाके भोगते हुए उस बहमेन्द्रकी बायु छह माह शेष रह गई। पत्ता- तो उस अवसरपर सोष इन्द्रने जिनपद में जिसकी मति अनुरक्त है, ऐसे भव्य कुबेरसे कहा ||२|| A येणं । ४. AP वीरं । २. १. A बृजतवि णाणु बम्मू । २. APणिनोषि । ३ AP सबणु । ४. AP पायोगमरण । ५. AP ० अहमिदानं । ६. A वाणं; P पमाणं । ७. AP हि निकाल बाहास |
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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