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महापुराण
[ ४७.९. १६असामण्णलायपणभारम्मयाए जणेऊण भति" मणे अम्मयाए । तिणाणी विमुद्धो सुलेसासहावो णिओ मदरं देवदेवेहिं देवो। पत्ता-पंसिलोवरि हाणियं पूयाविहिसंमाणियं ॥
"मविऊ अरहंतयं "पुप्फदंतभयवंतयं ॥५॥
ते सुरवर लंघिवि गयणंतर ते लेप्पिणु पडिआया तं पुरु । जणणि हि करयलि णिहिया जेश्वइ गर आणंदु पणश्चिवि सुरषद। काले जंत वडिड सायरु वड्ढिच णं सियैपक्खइ सायरु । वढिठ सुकाहि कवाला व पढिन सुमुणिहिं णाणसहाउद । वड्डि उ उवसमवेल्लिहि कंदु व वति उ अभैयकलहिं जयंदु व । वढि धम्मदिवोबहु तेउ व वढिन भवमयरहरहु सेट ! कुंदुज्जलतणु अईसयभूयत बाणासणसव तुंगु पहूय। सिसुलीलाइ पोसियदिव्वह गय पण्णाससहस तह पुन्वहं । पच्छइ पत्तु पायसासणु सई । उच्छउ कि सीसइ मणुएं मई। जंचितंतउ सुरगुरु गुप्पइ तहिं महंमद णड किं पि विसप्पा । लक्खणलनिखयंवरतणुलहिहि पट्टबंधु जाइज परमेद्विहि ।
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किया, और उसके हाथमें कोई भी कृत्रिम बालक दे दिया। असामान्य लावण्यके भारसे युक्त माताके मनमें भ्रान्ति उत्पन्न कर तीन ज्ञानधारी तथा मन-वचन-कायसे शुद्ध शुभलेश्याके स्वभाववाले देवदेवको देवेन्द्रोंके द्वारा मन्दराचल ले जाया गया। पत्ता-पाण्डकशिलाके ऊपर अभिषिक
अभिषिक्त पूजाविधिसे सम्मानित सूर्य और चन्द्रमाकी आभावाले अरहन्तको नमस्कार कर-||
सुरवर आकाशको पार करते हुए उन्हें वापस लेकर उस नगर आये । यतिपति जननिधि जिनको हथेलीपर रखकर तथा आनन्दसे नृत्य कर इन्द्र वापस चला गया। समय बीसनेपर वह आदरपूर्वक बढ़ने लगे मानो शुक्ल पक्षमें सागर बढ़ रहा हो। वह सुकविके काव्यालापको तरह बड़े हो गये, सुमुनिके ज्ञानस्वभावकी तरह बड़े हो गये, उपशमको लताके अंकुरकी तरह बड़े हो गये, अमलकलाओंसे चन्द्रमाके समान बड़े हो गये । सूर्यके तेजके समान वह बड़े हो गये, संसाररूपी समुद्र के सेतुके समान बड़े हो गये, स्वर्णकी तरह अत्यन्त उज्ज्वल, उनका शरीर सौ धनुष प्रमाण ऊंचा और प्रचुर था। इस प्रकार बालक्रीड़ामें उनके देवोंको सन्तुष्ट करनेवाले पचास हजार पूर्व वर्ष बीत गये । उसके बाद इन्द्र स्वयं आया । उस उत्सवका मुझ मनुष्यके द्वारा क्या वर्णन किया जाये। जिसके वर्णनमें स्वयं बृहस्पति व्याकुल हो उठता है, उसमें मेरी मति बिलकुल भी नहीं चलती। लाखों लक्षणोंसे युक्त शरीरलतावाले परमेष्ठीके लिए पट्ट बांध दिया गया ।
१२. F असावाण । १३. A भंती । १४. A तिणाणी तिलेसो तिसुद्धो मुहावो । १५. AP मिऊणं ।
१६. AP पृष्फयंत । १०. १. P जयवइ । २. AP सिमवक्सइ । ३. A अमयकलिहिं । ४. Pणवचंदु व । ५. A घम्मु पयादह
भेउ व Pएम्मदिवायरते व । ६. P अहसंभूय उ । ७. P"परतणु । ८. AP जायउ ।