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"चेतना पुद्गल धमाल' संवादात्मक शैली में रचित हैं। इसमें पारस्परिक संवादों के माध्यम से चेतन और पुद्गल दोनों ही एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने हैं कि संसार में भ्रमण कराने और निर्वाण मार्ग में रुकावटें डालने में कौन कितना सहायक है ? कवि ने इसीका अत्यधिक आकर्षक, रोचक एवं विस्तृत वर्णन किया है । सम्पूर्ण ग्रन्थ सुभाषितों एवं सूक्तियों का भण्डार है। ऋति ने प्रस्तुत कृति अपने तीन नामों तल्हपति बल्ह और बूधा के विविध प्रसंग में उल्लेख किए हैं ।
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प्रस्तावना
5. नेमिनाथ बसन्तु—
कवि ने भट्टारक प्रद्यनन्दि की कृपा से इस रचना का निर्माण किया था जैसा कि उन्होंने उल्लेख किया है
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मूलसंघ मुखमंडण पद्मनन्दि सुसाइ ।
वील्ह बसंतु जि गावइ से सुखि रत्तीय कराई ।।'
यह एक लघु रचना है । इसके नाम से स्वयं विदित होना है, कि इसमें नेमिनाथ की तपस्या के साथ वसन्तु ऋतु की मादकता का वर्णन किया गया है । यह एक रूपक काव्य हैं, जिसके माध्यम से नेमिनाथ को अपनी तपस्या में लीन दिखलाया गया है ।
6. भुवनकोर्ति गीत -
प्रस्तुत कृति में भट्टाकर भुवनकीर्ति की यशोगाथा का गान किया हैं । यह ऐतिहासिक कृति हैं, जिसमें भट्टारक- परम्परा पर प्रकाश डाला गया है। भुवनकीर्ति के साथ-साथ भ० प्रभाचन्द्र के शिष्य भट्टारक रत्नकीर्ति का भी उल्लेख किया गया है । 7. टंडाणा गीत -
"दंडाणा " शब्द टांडे से बना हैं ! बनजारों का समूह अपने - अपने बैलों पर व्यापारिक वस्तुएँ लाद कर ले जाते हैं, उसे टांडा कहा जाता है। इस टांडा के माध्यम से कवि ने संसार के स्वरूप का रोचक चित्रण किया हैं । यह एक मार्मिक आध्यात्मिक गीत है ।
8. नेमिगीत-
उक्त रचन्ग 15 पद्यों की लघु रचना है, जिसमें नेमिनाथ के वैराग्य और गुणों का वर्णन किया गया है। इस कृति की रचना कवि ने "वल्हण" नाम से की हैं। 9. अध्यात्म गीत एवं एक पद
कवि की अन्य रचनाएँ भी ग्यारह गीतों एवं एक पद के रूप में चित्रित हैं, जिनमें संसार की नश्वरता, भ्रमणशीलता, क्रोध, मान, माया और लोभ आदि का वर्णन कर समाज को इन दृषितभावों से विरक्त करना तथा मानव को जिनेन्द्र भक्ति 1. कब्र बृचगज एवं उनके समकालीन कवि पृ0 103