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________________ मदनजुद्ध काव्य समाके मध्य 'मनल बीड़ा देना है : राग मोर ने कन्दर्य को सफलताके लिए अन्य अनेक वीरों की भी साथमें भेज दिया । ___मनमें जब काम उत्पन्न हो जाता है तब कुमति आ जाती है । उसके कारण खोटी शिक्षा ही अच्छी लगती हैं । सभी अभिप्राय खोटे हो जाते हैं । इन नारी वीरोंको मोह ने इसलिए साथ भेज दिया कि अकेला कन्दर्प, राजा विवेक और गनी निवृत्तिको एक साथ नहीं पकड़ सकता 1 इनके साथ रहनेसे दोनोंको सुगमतासे वश में कर लिया जाएगा । गाथा छन्द : गुडि मत्त मयणु गज्जिल सज्जिउ दलु विषमु चहु पकारेण । हरि बंभु ईसु भज्जिउ वजिजउ जब गहिरु निस्साणु ।। ३६।। अर्थ-मतवाला मदन अपने साथियों सहित गर्जना करने लगा । राजा मोहने चारों प्रकारकी अपनी विषय सेना तैयार की । वह हरि, ब्रह्मा एवं शिव इन सभी इष्ट देवोंको भजने लगा और फिर निशान (बाजे) गम्भीर ध्वनि करने लगे। . व्याख्या-मन्मथके जानेके बाद बाद राजा मोहने अपनी चतरंगिणो सेना तैयारकी । यह सेना हाथी, घोड़ा रथ और पैदल, इन चार प्रकारोंकी होती है । राजा वही कहलाता है, जिसके पास सत्र से बढ़कर भयंकर सेना हो । राजा मोहने तत्काल ही बड़े-बड़े वीरों की सेना तैयारकी । इसीके बल पर तो अनादिकालसे सभी संसारी जीव उसके वशमें हैं तथा चारों गति रूप जेलखानेमें बन्दी बन कर पड़े हुए है । युद्ध में विजयकी प्रार्थना हेतु राजा मोह ब्रह्मा, विष्ण, और महेशका ध्यान करने लगा । उसने सभीको उनका स्मरण करनेका आदेश दिया । ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ध्यान इसलिए किया कि ये तीनों देव स्वयंभी मोह और कामसे परिपूर्ण हैं । इन्हींकी भक्ति से मोहको युद्धमें विजयश्री प्राप्त हो सकती थी । युद्ध में गम्भीर वाद्यों का बजना भी अपने आपमें बड़ा महत्व रखता हैं । जब तक बाजे गम्भीर ध्वनिसे नहीं बजते तब तक सेनामें लड़ने का उत्साह जागृत नहीं होता, उनमें तेजस्विता नहीं आती । जैसे-जैसे वाघ गम्भीर ध्वनि करते हैं, वैसे-वैसे ही योद्धा के हाथ-पैर स्वयं ही चलायमान हो उठते हैं । मोहने युद्धकी सभी नीतियों का पालन किया । पहलेतो उसने कामदेवको भेजकर सामनीतिको अपनाया और पुन: सेनाको तैयार करके दाम, दण्ड, भेदकी नीतिको अपनाया ।
SR No.090267
Book TitleMadanjuddh Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuchraj Mahakavi, Vidyavati Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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