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________________ मदनजुद्ध काव्य १७ मुखसे शुभवाणोको सुना है । हे राजा, वह नगर, दल और बलके प्रति विषम हैं । इन्द्र और अनेक राजा भी, जिसकी बहुत प्रकारसे स्तुति करते रहते हैं । व्याख्या-कपट नामका दूत कहता है, मैने चारों पक्षों-चारों दिशाओंसे घूम-घूम कर नगरको अच्छी तरह देखा । मुझे देखकर किसीने किसी प्रकारके अपशब्द नहीं कहे । सबके मुखसे परस्परमे शुभवाणी का उच्चारण ही सुना । इस प्रकार वह नगर सेना और बल (शक्ति) दोनोंसे अति विषम हैं । विषयका अर्थ यहाँ अनुपम है । इस गाथाका यह अर्थ लौकिक-दृष्टि से किया गया है । आत्मिक-दृष्टि से वह कपट कहता है"मैने उस आत्मा रूपी नगरीको चारों पक्षों अर्थात् चारों नयो निश्चयनय, व्यवहारनय, व्यार्थिक नय और पर्यायाशिकनय से विचार कर देखा हैं। बह इस प्रकार है-निश्चय नयसे आत्मा अखण्ड हैं, वहाँ अन्य किसी का प्रवेश नही हैं । व्यवहारनयसे उस आत्मा-नगरको खण्ड-खण्ड रूपमें देखा लेकिन किसीभी गुणमें विकार नहीं पाया । यह नय शब्द रूप है । ज्ञातुर्वचनं नयः । सब गुण रूपी प्रजा परस्परमें संघटित है । वे सब गुण तुम्हारी परतन्त्रताको नहीं चाहते हैं । सुणि सुणि हो तूं मोह- भुषप्पति दिट्ठी नयरतणी मई यह गति स्वामि विवेकु चडिउ अति चाडा तुम्ह उप्परि गज्जइ दियहाडइ ।।२९।। अर्थ-हे मोह राजन्, तुम भुवनपति हो फिर भी सुनो-सुनो | मैंने उस नगरकी यह अवस्था देखी है कि उस पुण्यनगरका स्वामी विवेक है, वह खूब बढ़ रहा है और अधिक बढ़ (शक्तिशाली है) रहा है, वह तम्हारे ऊपर दहाड़ रहा है, गरज रहा है, जैसे कि सिंह गरजता और दहाड़ता है। __व्याख्या-यहाँ कपट ने कहा--- "हे मोह राजन्, तुम समस्त जीवोंके पति हो ! तुम्हारा एक छत्र सार्वभौम राज्य है--किन्तु आत्मानगरमें तुम्हारा राज्य नहीं है । वहाँ कोई भी गुण तुम्हारा नाम नहीं लेता । वहाँ ऐसी निमोह रूपी गति मैंने स्वयं देखी है । वहाँका स्वामी विवेक है । उसका दल (परिवार) और बल (सेना) अजेय है । वहाँ सभी स्वतन्त्रताकी ओर बढ़ रहे हैं और निर्भय होकर रहते हैं । राजा विवेक तुम्हारे ऊपर गरजता और दहाड़ता है कि मैं ही सदाके लिए यहाँ रहूँगा । अब यहाँ मोहका प्रवेश नहीं हो सकता है ।"
SR No.090267
Book TitleMadanjuddh Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuchraj Mahakavi, Vidyavati Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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