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________________ लघुविद्यानुवाद ठेवणे म्हण जे कलक सिद्ध साध्य झाला एक करून ठेवणे तांब पत्र कटक वेधनी करून मग रूई चेपाना चा यस काहुन हे वणे मग ताम्र पत्र लाऊन रूई रसात सिजवने एसेपुट 7 देणे मगपूरे करणे मग श्वेत झालीया एक मुसीत घालणे त्याचे पानी करणे // इति / / शुल्वस्य भाग तय नेककं नाग वंगयोः // 11 // समावर्त्य विचूरायार्थ सिद्ध चूर्णेन पूर्ववत् / नागमेकं द्वयंशुल्वंषट् शुल्वं चैकं पन्नगं / / 12 / / शुल्व चूर्ण त्रयोभाग भागैकं हेमगैरिकं // 13 // गंध केनहतं शुल्वं माक्षि के कंच समं समं / रूध्वाध्मातं पुनश्चूर्णे सिद्ध चूर्णेन् पूर्ववत् // 14 // हंस पायि त्रक द्रायै दिन मेकं विर्मदयेत् / तैनेव तार पत्राणिलिप्त्वा रूध्वा पुटेप, चेत् // 15 // समुह टा त्पश्चा त्कृत्वा पत्राणि लेपयेत् / पूर्वपल्केन रूध्वाथपुटं दत्वा समुद्धरेत // 16 // इत्येवं सप्तधा कुर्यात्तार मायाति कांचनम् ।इति। राजावत च पारापत मल समं // 17 // असित्य सेन कुरू तेस्वर्ण रोप्यं च पूर्ववत् ।इति। से शिरीष पुष्पस्य पार्द्र कस्य रसै समै // 18 // भावयेत्सम वाराणि राजावर्तसू चरिणतं / / तेनेव शत मांसेनस्वर्ण तारद्रतं समं / / 16 / / वेधयेत् सर्व वसिद्ध दिव्यं भवति कांच नं ।इति। कुकुमं विमल ताप्यं रस कंदरदं शिला / / 20 / / राजावर्त प्रवालं च राजी गैरिक र्टकणं / सेधवं चूर्ण ये तुत्यंम शीत्यंशेन वेधयेत / काच माच्या द्रवः समं // 21 // पाम मर्धत तरुध्वा प्रारण्योत्पल के पुटेत / इत्ये वं तुबिधा फुन्मिदितं पुट पाचितं / / 22 / / तद्धहिलं शुद्ध क्षिप्त्वा तस्मिन्वि मर्दये कांलि के र्याम मात्रहि पटे नै दे.न पाचयेत् / / 23 //
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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