________________ लघुविद्यानुवाद 677 अर्थ माया बीज ही कार को कौन-कौन कार्य के लिये किस-किस वर्ण का ध्यान करना चाहिये सो कहते है। ('सफेद रग का ह्री' का ध्यान करने का फल ) / त्वांचिन्तयन् श्वेत करानुकारं, जोत्स्नामयों पश्यतियस्त्रि लोकोत्मा / (म) श्रयन्ति तंतत्क्षरणतोऽनवद्य विद्या कला शान्तिक पौष्टि कानि // 4 // -चन्द्रमा के समान उज्ज्वल ह्री का ध्यान करने वाले को सर्व विद्याए, सर्व कलाए और शातिक पौष्टिक कर्म तत्क्षण सिद्ध हो जाते है। जो ह्री को तीनो लोक मे प्रकाशमान होता हुआ ध्यान करता है और शुक्लवर्ण का ध्यान करता है उसकी विपत्ति का नाश होता है। अनेक रोगो का नाश, लक्ष्मी और सौभाग्य की प्राप्ति, बन्धन से मुक्ति, नये काव्य की रचना शक्ति प्राप्त होती है। नगर मे क्षोभ पैदा करना व सभा मे क्षोभ पदा करने की शक्ति और आज्ञा ऐश्वर्यफल की प्राप्ति होती है / / 4 / / रक्त ह्रीं कार के ध्यान का फल अर्थ त्वामेव बाला रुगडमण्ड लाभं स्मृत्वा जगत् त्वत्कर जाल प्रदीपम् / विलोक तेयः किल तस्य विश्वं विश्वं भवेदवश्यम वश्यमेव // 5 // -हे ह्री कार तुम उदित हुए बाल सूर्य की कान्ति के समान अरुण हो। आपके अरुण मण्डल मे सारा ससार विहिन है। जो इस रूप मे आपका ध्यान करता है उसके वश मे समस्त ससार अवश्य हो जाता है / अन्य प्राचार्यो के मतानुसार लाल वर्ण के ह्रा कार का ध्यान करने से सम्मोहन, पावर्षण और अक्षोभ भी होता है / / 5 / / स्त्री आकर्पण के लिए मध्य मे ध्यान करना। पीतवर्णी ह्रीं कार के ध्यान का फल यस्तप्त चामी कर चारु दीपं, पिङ्ग प्रभं त्वां कलयेत् समन्तात् / सदा मुदा तस्य गृहे सहेलि, करोतिकेलि कमला चलाऽपि // 6 // -जो पीले कान्ति सहित तुमको तप्त सुवर्ण के समान सुन्दर सर्वत्र प्रकाशमान ध्यान करता है उसके घर मे चलायमान लक्ष्मी भी प्रानन्द और लीला सहित क्रोडा करती है। वह स्तम्भन कार्य और शत्रु के मुख बन्धन मे उत्तम कार्य करता है / / 6 / / ___अर्थ