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________________ नयुविधानुवाद (२१) स्वहस्तोगुनो वागात मूर्त तग्गयांगुष्ठ तियंग विधाय तर्जनी नालनेन 'ध्यज मुद्रा'। (३२) दक्षिणहरतमत्तान विपायाध करणागा प्रसारगदिति नरमता'। (३३) वामहन्तेन मुष्टि बन्या गनिप्टिमा प्रसार्ग शेषांगती रगान पीठयदिति 'शयमुद्रा'। (३४) परस्पराभिमुग हस्ताभ्या वणी यथ निमाय मध्यमे प्रसागं गोज्य च शेषागुलिभिमुष्टि विधाय शक्ति मा। (३५) हस्तद्गयेगांगुष्ठ तर्जनीन्या बनके विधायपरम्पगतः प्रयशनेन 'शृगला मुद्रा' । (३६) मस्तकोपरोहन्तागंन शिमराकार पुदमन नियते ग एय गारमेर मुद्रा (पंचमेरु मद्रा) [चित्र स०४। (३७) वामहानमुटेपरि दक्षिण मष्टि न्यागारणामहरिनिरामयेदिति 'गदा मुद्रा' । (३८) प्रवामुग वामहानागलोघंटा कारा. प्रमादभिगमति बच्चा नजनी मूळ कृत्वा वामहन्ननलेनियोज्यघण्टायनालनेन "उण्टा मद्रा'। (३६) उन्नतपृष्ठ हस्ताभ्या मपुट कृत्या गनिष्ठिो निष्कान्य योजयेदिति 'कमण्डलु मुद्रा'। (४०) पत्ताकावत् हम्न प्रमायं प्रा गुष्ठ योजनेन परशु मुद्रा'। (४१) ऊध्वंदण्डौ कगे कृत्या पदावन करणारा प्रसारयेदिति बना मुद्रा'। (४२) दक्षिण हन सहनागलि मुन्नमत्य मपंफणावत् किनिनामुञ्चयदिति 'ममुद्रा' । (४३) दक्षिण करेगा मुष्टि बचा तजना मध्यमे प्रमारयेदिति गङ्गमुद्रा। (४४) हरताभ्या सपुट विधायागुली पदिकाम्य मध्यमे परस्पर सयोज्यातन्मूललग्नागुप्ठी कारयेदिति 'ज्वलनमुद्रा'। (४५) बद्धमुप्टेर्दक्षिण कास्यमध्यमागुष्ठ तजन्याम्नन्मूलाक्रमेण प्रसारयेदिति 'दण्ड मुद्रा'। OMum A. C
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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