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________________ लघुविद्यानुवाद फल प्राप्ति : इस श्रीफल सु घाने मात्र से स्त्री गर्भ के कष्ट से छूटे, तुरन्त प्रसव हो / वध्या स्त्री को ऋतु स्नान के बाद घोल कर पानी पिलावे तो सन्तान हो / श्रीफल को सात बार पानी मे डुबोकर सात बार ही मन्त्र पढे, फिर उस पानी को घर में छीटने से भूत-प्रेत का उपद्रव शात होता हो। लाल कनेर का फूल लेकर, दक्षिण दिशा मे बैठकर शत्रु का नाम लेते हुए एक माला फेरे। दक्षिणावर्त शंख कल्प __शंख 3 तोले का उत्तम 25 तोले का अत्युत्तम है। शख शुक्ल वर्ण का ही उत्तम माना गया है। यदि शख को पानी मे नमक डालकर उस पानी मे डाल दे, फिर सात दिन तक पानी मे ही रहने दे, अगर शख फटे नही तो समझो असली शख है नहीं तो नकली है। प्रयोग फल : शख में पानी भरकर मस्तक पर नित्य ही छीटे तो उपसर्गो का क्षय हो / शख मे पानी लेकर पूजन करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है / पूजन के पश्चात् शख मे दूध भरकर वध्या स्त्री पिये तो उसके सन्तान होती है। जिस घर मे शख हो उस घर मे सर्व मगल होता है। रोग शोकादि का नाश, प्रतिष्ठा बढती है / मान-सम्मान राज्य मे होता है। पूजन विधि : स्नान करके, सफेद वस्त्र धारण करे, प्रतिदिन दूध से फिर पानी से शख को स्नान 1 / फिर चादी अथवा सोने के पत्र पर उस शख को सोने मे मढाना चाहिये, फिर पप्टद्रव्य ने डिसो प्रचार पूजन करना चाहिए / पूजन करने के पहले सकल्प करे / ॐ अद्य अमुक वर्षे अमुकमासे असुक पक्षे अमुकतिथौ मम मनोवाछित कार्यसिद्धये ऋद्धिसिद्धि प्राप्यर्थ मह दक्षिणा वर्त शखरय पूजन करिष्याम / -
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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