________________ लघुविद्यानुवाद 641 श्वेतसरपखा की जड को कमर मे बाधने से और दक्षिण जघाप्रदेश में स्थापित करने से वीर्य का स्तम्भन होता है। श्वेतपुनर्नवा की जड को दूध के साथ घिस कर पिलाने से स्त्रियो को गर्भ रहता है। सावलि (साल्मली) (सेमर) काष्टपादुका. क्रियन्ते वज्रापरिवृते मुक्रवारिणमध्ये प्रक्षिप्य लेपोदिय ते अलग पादुकाभिः चक्रम्यते / सफेद कनेर की जड को रविवार के दिन लाकर कुसु भ रग के डोरे मे वामहस्त में बाधने से (मर्कटिका) रोग नष्ट होता है / ____कोलिका गृहद्रय मुत्याद्य सूक्ष्म वस्त्रेण वेष्टियित्या तैलेन स्निग्ध कृत्वा कोरक शराबे (कोरा मिट्टी का घडा पर) कज्जल पात्यते तेनाक्षि अजयेत् एकान्तर, द्वयतर चातुर्थिक ज्वरानाशयति / गोघृतेन दीपक दातव्य तस्य दीपकस्य शिखाया सूचीकापोइ (सुई पिरोना) अरीवादहनीय, गोसत्क माथुअरीवा घर्षणीय जीरक मगध, पिपल, नमक सेधा, मध्ये घर्षणीय ताम्र भाजने घर्षण कर्तव्य अक्षिरोगो नश्यति / सरसो, हिगुल, नीम के पत्ते, वच, साप की काचली की धूप बनाकर खेने से शाकिनी का उच्चाटन होता है और सर्व प्रकार की ऊपर की बाधाये दूर होती है। वणिमूल, हिंगुल, सुठि, इन सब चीजो को बराबर मात्रा मे लेकर पानी के साथ पीसकर सुघाने से शाकिन्यो नश्यति / बहेडाबोज, सैधव, शखनाभि सम मात्रा चूर्णेन अक्षिभरण चक्षुफुल्लोपशम. / // 0 // वंदा कल्फ नंदिषेणाचार्य कृत वदाकल्प प्रवक्ष्यामि नन्दिषेण मुनि भापित, यस्यविज्ञान मात्रेण, सर्वसिद्धि. प्रजायते / अश्विनी नक्षत्रे पलास (डाक) वदा सगृहस्ते वध्वा सर्पभयनिवारयति / भरणी नक्षत्रे आयिली (इमली) वा प्रावल, वदा सगृह्य हस्ते वध्वा सग्रामेराजकुले अपराजितो भवति सर्वजन प्रियोभवति और इसी नक्षत्र को, कुश, वदा सगृह्यद्रव्य मध्येघान्य राशीवाध्रियते अक्षयो भवति /