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________________ 636 लघुविद्यानुवाद सत्यानाशी की जड पान मे खिलावे तो बिच्छु का जहर उतर जाता है / 43 / हरिताल और असगघ को केला के रस मे गौरोचन सहित घिस कर तिलक लगाने से मोहित होता है / 44 / शृगी, चन्दन, वच, कूट, ये चारो चीज की धूप बनावे फिर अग्नि मे उस धूप को डाल कर अपने शरीर मे धुश्रा लगावे और अपने मुख मे भी धुपा लगाने से और वस्त्र मे धुप्रा लगाने से राजा, प्रजा, पशु, पक्षी जो देखे सर्व मोहित हो / 45 / पान की जड का तिलक करने से मोह नही होता है / 46 / मैनसिल, कपूर को केला के रस मे घिस कर स्नान करे तो मोह नही होय / 47 / सेदूर, वच असगन्ध, पान के रस मे घिस कर स्नान करे और तिलक लगाने से मोह न होय / 48 / भगर या चिचिडा, छुईमुई, सहदेई, इन चारो चीजो का तिलक लगाने से मोह न होता है / 46 / डमरू के फूल की वाती नैनु के साथ रात्रि को जलाय काजल उपाड कर अजन करे तो मोह न होता है / 50 / सफेद घु घची का रस ब्रह्मदण्डी के साथ घिस कर शरीर मे - लेप करने से मोह नहीं होता है / 51 / सफेद दूब के रस मे हरिताल को घिस कर तिलक लगाने से मोह नही होता है / 52 / सफेद अकुपा की जड और सफेद चन्दन को घिस कर तिलक लगाने से मोहन होता है / 53 / .. __ बेलपत्र छाया में सुखा कर, कपिला गाय के दूध मे घिस कर तिलक लगाने से मोह नही होता है / 54 / . भाग के पत्ते, सफेद सरसो, इन दोनो को कूटकर शरीर में लेप करने से मोह नही होता है / 55 / . तुलसी के पत्ते को छाया में सुखाकर चूर्ण करे, असगन्ध और भाग के बीज समभाग मिलाकर कपिला गाय के दूध मे घिस कर गोली बनावे, उस गोली का तिलक लगाने से मोह
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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