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________________ 622 लघुविद्यानुवाद - ॐ ह्री कलियुग प्रबन्ध दुर्गि विनाशिनि सन्मार्ग प्रतिनि भगवती यक्षी देवते जलाद्यर्चन गृहारण गृहारण / इत्यादि बामे शासन देवतार्चनम // 17 / / यह मन्त्र पढकर जिन भगवान की वाई अोर शासन देवताओ की पूजा करे / / 17 / / ॐ ह्री उपवेशनभूः शुद्यतु स्वाहा / / होम कुड पूर्व भागे दर्भपूलेनोपवेशन भूमि शोधनम् // 18 // यह मन्त्र पढकर होम कुड के पूर्व भाग में दर्भ वे पूले से बैटने वी जमीन को शुद्ध करे // 18 // ॐ ह्रीं पर ब्रह्मणे नमो नमः ब्रह्मासने अहमुपविशामि स्वाहा / होम कुण्डाग्ने पश्चिमाभिमुख होता उपविशेत / / 16 / / यह मन्त्र पढकर होता (होम करने वाला) होम कुड के अग्र भाग मे पश्चिम की ओर मुख करके बैठे // 16 // ॐ ह्रीं स्वस्तये पुण्याहकलशं स्थापयामि स्वाहा / / शाली पूज्जोपरि फल सहित पुण्याह कलश स्थापनम् / / 20 // यह मन्त्र पढकर चावलो के ढेर पर पुष्प वाचन के कलश स्थापन करे और उनके ऊपर नारियल आदि कोई सा फल रक्खे // 20 // ॐ ह्रां ह्रीं ह्र हौ ह्रः नमोऽहते भगवते पद्ममहा पद्मातिगींच्छ केसरि पुण्डरिक महापुंडरिक गंगा सिन्धु रोहिद्रोहिता स्याहरिद्वरिकान्ता सीता सीतोदा नारी नर कान्ता सुवर्ण रूप्य कुलारक्तारक्तोदा पयोधि शुद्ध जल सुवर्ण घट प्रक्षालित कर रत्न गन्धाक्षत पुष्पा चितमा मोदकं पवित्रं कुरु कुरु झं झं झौ झौ वं वं मं मं हं हं सं सं तं तं पं पंद्रां द्रां द्री द्रीं हं सः इति जलेन प्रसिञ्चय जल पवित्री करणम् / / 21 // यह मन्त्र पढकर जल सीचकर पूजा करने के जल को पवित्र करे / / 21 // मन्त्र :-ॐ ह्री नेत्राय संधौषटम / / कलशार्चनम / / 22 // यह मन्त्र बोलकर कलशो की पूजा करे / / 22 / / ततो यजमानाचार्यः वाम हस्तेन कलशं धत्वां सव्यहस्तेन पुण्याहवाचनां पठित्वा कलशं कुंडस्य दरिगणे भागे निवेशयेत् / / 23 / /
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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