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________________ लघुविद्यानुवाद इस यन्त्र को थाली के अन्दर सुगन्धित द्रव्यो से लिखकर ३ दिन त्रिकाल पूजा करके, चौथे दिन दूध से थाली घोकर पीये तो स्त्री के निश्चय से गर्भ रहे || ५२॥ यत्र न० ५३ श्रीधरणेंड अ 言 प श्री वैरू fa htt नधिच श्री पारवनाथाय नमः 题 मंगल वट स्थ ५७३ अहि श्रीगुरुभ्यो नमः इस यत्र का मंत्र — ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय ही घरणेंद्र पद्मावति सहिताय श्रट्ट मट्टे द्रविघट्टे क्षिप्र क्षुद्रान् स्थम्भय २ जृंभय २ स्वाहा । विधि : - इस यत्र को शुभ दिन मे पवित्र होकर सुगन्धित द्रव्यों से लिखे, फिर सफेद वस्त्र पहन कर पूर्व दिशा व उत्तर दिशा मे बैठकर पद्मासन से बैठकर १२,००० हजार सफेद पुष्पो से जाप करे, यत्र पार्श्वनाथ पद्मावती के सामने स्थापित करके जप करे । रविवार से लेकर रविवार तक, १३०० जाप नित्य करे, तब मत्र सिद्ध होता है । जब कार्य पडे तब इस प्रकार करे, प्रथम शांतिक, पौष्टिक, मगलीक कार्य मे सफेद माला, सफेद धोती, सफेद फूल सुगन्धित से, दिन मे १०८ बार जपे तो कार्य सिद्ध होता है । शुक्ल ध्यान करे ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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