SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 623
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५५८ इद यत्र श्री चिन्तामणि सर्व कार्य-कर्म कर । इद यत्र सुरभि कर्पूर, कस्तूरी, केशर, गोरोचनादि लिख्यते । सुवर्ण रूप मृदगेन भिवेष्टित कृत्वा मस्तके अथवा बाहु धारयते । सदा सर्व जनप्रियो भवति । सर्वेपि वशी स्यात् । यस्य कस्यापि कारमरणन प्रभवन्ति । नागवली पत्रेण चदनेन यत्र लिखित्वा वन्ध्या स्त्री दीपते ऋतु वेलाया प्रत्रो प्रसूति गर्भ धारयति । नान्यथा पश्चात् गौ दुग्ध चावल दीयते, दृष्ट प्रत्यय आत्म पार्श्वे स्थाप्यते, सकल जन मोहोत्या धत । ॥ इति श्री चिन्तामणि यन्त्र प्रभाव सत्य छै ।। यस्य कस्याऽपि न दातव्य ||२५|| पंदरिया यन्त्र विधि इस १५वा यन्त्र को शुभ तिथि, शुभ वार देख कर पुरुष ॐ ह्री श्री क्ली मम देहि वॉच्छित स्वाहा । लघुविद्यानुवाद १ ८ यन्त्र न० २६ ७ ~ w ४ ब्राह्मरण के लिये भोजपत्र पर वैश्य के लिए ताडपत्र पर, अथवा कागज पर लाल चन्दन, कस्तूरी आदि से लिखना । वश करने के लिए लाल चन्दन से लिखना दुकान के लिए कस्तूरी से, स्तम्भन के लिए हल्दी से, देव दर्शन के लिए केशर से, मारण के लिए धतूरे से, उच्चाटन के लिए दिव्य रस से कलम श्मसान के कोयले से, विद्वेषरण के लिए सफेद चन्दन से, शांति के लिए मुसल स्याही से लिख, सब काम ऊपर एक ग्र गुल प्रमाण ५ अ गुल श्राठ, तीन, दस, चार तथा १५ अ गुल प्रमाण कलम होनी चाहिये । सोना की १, चादी की २, सॉभर पक्षो के पख की ३, कोवा के पख की ४ लौह की ५-६ । प्रमारण, दो प्रगुल प्रमाण, ...
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy