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________________ लघुविद्यानुवाद वैष्णवी चामुंडा, गांधारी लिखे । ॐकार पहिले मंत्र को लिखे । बाह्य में हा हंहः श्रां क्लीं ब्ली द्रां द्रीं पद्मावती श्रां श्रीं श्र श्री श्रः हुं फट् स्त्रीं स्वाहा । " विधि : - इस मन्त्र विद्या को एक हजार आठ प्रमाण हाथ के जप, नित्य दस दिन तक करने से सब सिद्धि होती है । ४८८ मन्त्र :- ॐ स्यू हा हं हां प्रां क्रीं ह्रीं क्ली ब्ली द्रां द्री पद्मावती श्रां श्रीं श्र ू श्रौं श्रः फट् घीं स्वाहा । जब भी जरूरत पडे तब चाहे जैसा कठिन कार्य हो सरलतापर्दक सिद्ध करने के लिये, यत्र का पूजन और १००८ कर जाप्य दस दिन तक मंत्र का करने से, यथा शक्य मानसिक जाय मन मे करते रहने से सम्पूर्ण कार्यों की सिद्धि होती है । काव्य नं० ८ वृहत यन्त्र रचना दूसरे प्रमाण से इस यन्त्र की विधि को कहते है जो पद्मावती उपासना ग्रन्थ मे लिखा है । केसर गोरोचन से भोजपत्र के ऊपर लिखकर अथवा सोना चादी ताम्र के पतरे के ऊपर लिखकर प्रति कराके पूजन मे नित्य ही रखे, प्रतिदिन यत्र की पूजा करने से, यत्र मे साक्षात पद्मावती देवी विराजमान है ऐसी भावना करता हुआ सुगन्धित पुष्पो से और उत्तम द्रव्यो से पूजा करने से प्रतिदिन नोचे मुजब मन्त्र का १०८ बार जाप्य करने से सम्पूर्ण कार्यो की सिद्धि होगी । फल ७ दशदलकमल कृत्वा तन्मध्ये व्यू स्थाप्य कमलेषु ॐ ह्री पद्मे श्रा श्री श्र श्रः नमः एतत् मत्र लिखेत् तदुपरी चतुर्दश द्रो कारेन वेष्टयेत तदुपरि काव्य लिखेत् तत्पश्चात् प्रष्ट द्रव्येन पूजन कृत्वा, काव्य, मंत्र, यंत्र, पार्श्व रक्षरणात् अस्य प्रभावेन सर्व लोके पूजनी कं भवति, धनधानयसस्य वृद्धिर्भवति, देव समसुखी भवति । :- अष्टम काव्यस्य म्व्यू बीज दशाक्षर मंत्र ॐ ह्री पद्मे श्री श्राश्रू श्र नम अनेन मत्रेण प्रष्टत्तरी शत् १०८ दिने कमल पुष्प मध्ये बीजाक्षर मत्राक्षर सयुक्त लिखेत् कर्पूर कस्तुरिकाया, प्रात समये भक्षण कृत्वा, तस्य पुरुषस्य प्रत्युचिर भवति, लक्ष्मी लाभ भवति निश्चयेन | इस मंत्र यन्त्र काव्य को सुगधि द्रव्य से लिखकर फिर प्रष्ट द्रव्य से यन्त्र की पूजा कर, पास मे रखे, यन्त्र को तात्रा अथवा चादी - सोना व भोजपत्र पर लिखकर पास मे रखे,
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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