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________________ लघुविद्यानुवाद ४८५ यन्त्र नं०७ पंचभंसहस.कुवलयकलितो घामलीला प्रबंध्ये.! पंचमं स मःॐ हाहा हूंकार नादे कृतकरकमले स्त्रमाँ देविषमे भवाँ भवी भवों भवा प्रबल -झॉनी में पवित्र शशि कर धवले प्रक्ष रक्षीरगौरे। ADI (ALI IP2LoLetest भयनिवारक यंत्र स्तोत्र नं. ३ ७ श्लोकार्थ यन्त्र मन्त्र विधि (७) अब यन्त्रोद्धार करते है। विधि :-पीपल के पत्ते पर अथवा सुवर्ण के अथवा ताम्र के पत्रे पर, रोज दूध से यन्त्र लिखे, यह श्लोक रोज छह महीने तक २१ बार पढे, और लिखे भी, अगर लिखना भूल जाय तो यन्त्र को घोलकर पी जाय, इस प्रकार छह महीना तक इस विधि को करे तो, इस विधि को एकान्त मे करे, गुरु को छोड कर किसी को न बतावे, दूध चावल का भोजन करे, डाब के आसन पर सोये ब्रह्मचर्य का पालन करे, धैर्य रखे तो यह यत्र जो चाहे सो साधक को देवे, लेखक कहते है कि इसमे कोई सदेह नही करे ।।७।। इदानी परविद्याछेदानंतरं चक्र प्रकार देव कुलमाह । प्रातर्बालार्क रश्मिस्फुरित घनमहासांसिंदूरधूलीः । सन्ध्या रागारूणांगीः, त्रिदशवरवधूवंद्यपादारविदे।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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