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________________ ४५४ लघुविद्यानुवाद माला मत्र (यहाँ नहीं लिखा है मूल सस्कृत टीका मे दिया है) इस माला मत्र को पठित सिद्ध मत्र कहते है। इस मत्र को सिद्ध नही करना पडता है । नित्य ही पढने मात्र से सिद्ध होता है । नित्य ही पाठ मात्र करने से भूत ग्रह ब्रह्म राक्षस, बेताल प्रभृति, शाकिनी ज्वर रोग चोरारि मारी का निग्रह होता है । व्याल, सर्प, वृच्छिक मूषक लता, पातक आदि शिरोरोग का नाश होता है। मन्त्र -ॐ भगी रेटी किरेटी जंभय २ क्ली पय २ धत टं के स्वाहाः ॥ ॐ नमो भगवतो काली महाकालि चंडाली अमुकस्य रुधिर पितर २ सुहृदये भित्वा हिलि २ चंडालनी मातंगिनी स्वाहा ॥ ॐ नमो भगवती काली महाकाली रुद्र काली नमोस्तुते हन २ दह २ छिद २ । छेदय २ भेदय २ त्रिशूलेन (हुं) हः २ स्वाहा । विधि -इन तीनो ही मत्रो को सात बार पढ कर पानी पिलावे तो शूल का नाश होता है। मन्त्र :--ॐ नमो भगवती कराली महाकराली ॐ (ह्रीं नमो) महामोहसंमोहनीयं महाविद्य जंभय २ स्तंभय २ मोहय २ म(धं)च्चय २ क्लेदय २ आकर्षय २ पातय २ नरेसंमोहिनी ऐ द्री भी ह्रौ प्रागच्छ कराली स्वाहा । माला मन्त्र का पाठान्तर भेद ॐ नमो पार्श्वनाथाय धरणेद्र सहिताय पद्मावती सहिताय, सर्वलोक हृदयानन्दकारिणी भृङ्गीदेवी, सर्व सिद्धविद्याविधायिनी कालिका, सर्वविद्या मन्त्र यन्त्र मुद्रास्फोटनी कराली, सर्वपरद्रव्ययोगचूर्णमथनी चडी, सर्वविषप्रमदिनी चामुडी देवि | अजिताया स्वकृत विद्या मन्त्र तन्त्रयोग चूर्णरक्षणा जम्भा परसैन्यमदिनी नमो दानन्द (?) रोगनाशिनी सकल त्रिभुवनानन्दकारिणी भृङ्गोदेवी, सर्वसिद्धा विद्या विधायिनी महामोहिनी ! रैलोक्य सहारिणी चामुण्डा, ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वग्रह निवारिणी फट २ कप २ शीघ्र चालय २ बाहु चालय २ गात्र चालय २ पाद चालय २ विङ्ग चालय २ लालय २ धनु ३ कम्पय २ कम्पावय २ सर्वदुष्ट विनाशय सर्वरोग विनाशय जये विजये अजिते अपराजिते जम्भे मोहे अजिते ही २ हन २ दह २ पच २ धम २ चल २ चालय २ आकर्पय २ आकम्पय २ विकम्पय २ क्षम्यं क्षा क्षी शू क्षौ क्षः हु फट् ३ निग्रह ताडय २ क्म्यं स्रा स्री हू को क्ष रह २ सः २ घ २ स २ भ्व्यं हू २ घर पर २ हु फट ३ शङ्खमुद्रया घर टम्ल्यू पुर हु फट् कठोरमुद्रया मारय २ ग्राहय २ म्ल्व्यू हर स्वस्तिक
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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