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________________ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :--- ॐ ह्रीं ह्रः अमुक नगरे अमुक ग्रामं अमुक राजा नां क्षोभय २ स्वाहाः । विधि :- इस यन्त्र को केशर गोरोचनादि शुभ द्रव्यो से भोजपत्र पर लिखे, कमल के धागे से यन्त्र को वेष्टित करके, लाल कन्हेर के फूलो से १०८ बार जाप करने से, राजा पुरुष आदि को भी शोभित करता है। नामाक्षर को नित्य ही जपे। नृप को, नगर को, गाव को शोभित करता है । १y श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं० १८ - - MAN RE Ans-MAR CA 5 A MOLED - उच्चाटन यन्त्र मन्त्र का सात बार उच्चारण कर यन्त्र को गाड़ें १) यह यन्त्र नगर, राजा, ग्राम को क्षुभित करने वाला है, कब यन्त्र का असर होगा जब उस राजा या ग्राम या नगर का पुण्य क्षय होने पर, इसलिये धीरे २ असर होगा, लेकिन यह यन्त्र क्रिया भी दूसरे को हानि पहुँचाने का रूप है। साधक यह क्रिया कभी नही करे, मात्र ग्रन्थ में प्रयोग आने से देना पड़ रहा है, हमारा स्वतन्त्र कोई अभिप्राय नही है हम ग्रन्थ कर्ता ऐसी क्रियाओ के लिये आज्ञा नही देते है, (सावधान) उपरोक्त मन्त्र नित्य ही जपे।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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