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________________ लघुविद्यानुवाद इस वश्य कर्म मे, महायन्त्र को लाल रंग से बनावे, लाल पुष्पो से यन्त्र की पूजा करे, स्वतीकासन से बैठे, पद्म मुद्रा जोडे, उत्तर की ओर मुँह करे, पूर्वान्ह के समय बाये हाथ से जाप १०८ बार करे । ३६८ आकर्षण कर्म मन्त्र — ॐ ह्रा ह्री ह ह्रौ ह्र असि ग्राउसा एना स्त्रिया श्राकर्णय २ सर्वोौपट् । ू किसी का भी ग्राकर्षरण करना हो तो महायन्त्र को लाल वर्ण से यन्त्र वनावे, पूर्व दिशा 'मुख करे, दण्डासन से वंठे, अकुश मुद्रा जोडे, और मन्त्र का १०८ बार जप करे, इसी तरह भूत प्रेत वृष्टि आदि का श्राकर्पण करे । स्तम्भन कर्म मन्त्र — ॐ ह्रा ह्री ह्र हौ ह्र प्रसि आउसा देवदत्तस्य क्रोध स्तम्भय २ ठ ठ । 2 क्रोध स्तम्भन के लिए, महायन्त्र को हल्दी आदि पीले रंग से यन्त्र लिखे, पूजा सामग्री भी पीली बनावे, माला भी पीली हो, वज्रासन से बैठे, शख मुद्रा जोडे, मन्त्र का १०८ बार जप करे । इस प्रकार सिह श्रादि का क्रोध स्तम्भन करे । उच्चाटन कर्म मन्त्र — ॐ ह्रा ह्री ह्र ह्रौ ह्रा प्रसि उसा देवदत्त उच्चाटय २ हू फट् २ | ܘ उच्चाटन कर्म मे काले रंग की माला, काला रंग से हो महायन्त्र बनावे, दिन के पिछले पहर मे, वायव्य दिशा की ओर मुह करके कुकुटासन से बैठे पलव मुद्रा जोडे, नीली माला से वा काली से मन्त्र १०८ बार जप करे । भूतादिक का उच्चाटन भी इसी प्रकार करे । विद्वेष कर्म मन्त्र — ॐ ह्रा ह्री ह ह्रौ ह्र असि ग्राउसा यज्ञदत्त, देवदत्त नाम धयो परस्पर मतीव विद्वेष कुरु हू । महायन को काले रंग से यन्त्र बनावे, मध्याह्न के समय, प्राग्नेय दिशा मे सुहकर, कुकुटासन से बैठे, पल्लव मुद्रा करे । काले जाप्य से मन्त्र १०८ बार जपे । किसी मे भी विद्वेष करना हो तो इस प्रकार करे ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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