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________________ रात्रि भोजन त्याग कथा परमपूज्य श्री १०८ आचार्यरत्न निमित्तज्ञान शिरोमणि विमलसागरजी महाराज विशाल सघ सहित राणाजी की नसिया खानिया जयपुर (राजस्थान) मे वर्षायोग करने हेतु दिनाक ३-७-८७ को पधारे । ग्रन्थमाला समिति ने दिनाक ५-७-८७ को ही अपना नवम् पुष्प रात्रि भोजन त्याग कथा पस्तक का प्रकाशन करवाकर इसका विमोचन प्राचार्य श्री के कर कमलो से करवाया। कार्यक्रम की. अध्यक्षता श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के महामत्री श्री त्रिलोक चन्दजी कोठयारी ने की। मुख्य अतिथि श्री पूनमचन्दजी गगवाल (झरिया वाले) व श्री सोहनलालजी सेठी थे। केशलुञ्चन क्या और क्यों ? परमपूज्य श्री १०८ आचार्य विमलसागरजी महाराज के जयपुर (राजस्थान) मे वर्षायोग के समय आचार्य श्री की आरती, जिनवाणी स्तुति, वर्षायोग करने वाले साधुनो की सूची का प्लास्टिक कवरयुक्त कार्ड प्रकाशित करवाकर नि शुल्क वितरण किये गये । आचार्य श्री, उपाध्याय श्री, सघस्य साधुप्रो के केशलुञ्चन समारोह के अवसर पर एक लघु पुस्तिका केशलुञ्चन क्या और क्यो । का प्रकाशन करवाकर नि शुल्क वितरण किया गया। जन्म जयन्ति पर्व क्यो? दिनाक १४-७-८७ को प्राचार्य श्री की ७२वी जन्म-जयन्ति के शुभावसर पर जन्म-जयन्ति पर्व क्यो ? एक लघु-पुस्तिका का प्रकाशन करवाकर नि शुल्क वितरण किया। इससे जन-समुदाय को जन्म-जयन्ति पर्व मनाने की जानकारी सुलभ हो गई। शीतलनाथ पूजा विधान (हिन्दी) वर्षायोग समाप्ति पर परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्यरत्न विमलसागरजी महाराज विशाल सघ (४३) पिच्छी सहित दिनाक २७-११-८७ को ग्रन्थमाला के कार्यालय पर पधारे। इतने विशाल सघ का समिति के कार्यालय पर पधारना ग्रन्थमाला के इतिहास मे स्वर्ण अवसर था । इस शुभावसर पर प्राचार्य श्री के करकमलो से श्री १००८ धर्मनाथ भगवान की मूर्ति विराजमान की गई। ग्रन्थमाला का कार्यालय हमारे निवास स्थान पर है और हमारे निजी खर्च से यह कार्यक्रम सम्पन्न करवाया। तत्पश्चात् समिति द्वारा प्रकाशित दशम् पुष्प ' श्री शीतलनाथ पूजा" विधान (हिन्दी) का विमोचन आचार्य श्री के करकमलो द्वारा करवाया गया। श्री भैरव पद्मावती कल्प : परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुन्थु सागरजी महाराज विशाल सघ सहित वर्ष १९८७ का वर्षायोग अकलूज (महाराष्ट्र) मे पूर्ण धर्म प्रभावना के साथ समाप्त करके चतुर्विध सघ के साथ
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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