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________________ ३७६ लघुविद्यानुवाद यत्र न० २४० ड्रीप षषःअमुकँक्षीण स्वाहा किसी पर चलाना होय तब शील सयम तथा त्रियोग शुद्धि के साथ लाल वस्त्र पहन कर उत्तर दिशा मे मुख करके खडा हो । लाल माला से १२००० माला सवा पाच अगुल की तावे की कील वाये हाथ मे लेकर ।।२४०।। यन्त्र न० २४१ ३७४ ३६६ ३७६ | ३४ | ३८१ | ३६२ [ ३७६, ३७० | ३७५ | ३२ ३७३. | ३७७ ३७० ३३ ३७२ | ३७१ इस यन्त्र को दुकान के तथा घर के दरवाजे पर लिखकर चिपका देवे तो चोरी कभी नही होती है, चोर भय मिटता है ॥२४१।।। यन्त्र नं. २४२ हाहीहांहीहीही MEROLLER ही देवदत्त हीं तं ही खं ही हीचाही ही नहीं "4TA L.. . इस यन्त्र को अष्ट गध से भोज पत्र पर लिखकर गले मे बाधे तो सन्तान पुत्र होता है । और होकर मर जावे तो जीवे, मूल नक्षत्र रविवार के दिन गूजा के रस से भोज पत्र पर यन्त्र लिखकर पास मे रखे तो शत्रु मित्र हो जाय । सत्य ॥२४२।।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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