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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न०२२२
जमीन मे लिखे मेटे, शत्रु उच्चाटन होय ।।२२२।।
यन्त्र न० २२३
देवदत्त
इस यन्त्र को पान मे रख खिलावे वश्य होय ॥२२३॥
ॐ
स.
यन्त्र न० २२४
गौरी चंडी
गौरी चंडी
किकाली (काली
मेर विमहालेरखी
कंकाली सहाकार विगहा नैरवी
दिली
दुली महा कंजय गच
डास चान
गांधारीमहागांधा री
महाडोमा
रामु
इस यन्त्र को भोजपत्र पर लिख कर कमर मे वाधे, तो सर्व वायु जावे ॥२२४।।