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________________ पुनर्मिलन ग्रन्थमाला समिति ने पचम पुष्प "पुनर्मिलन" (अजना का चरित्र) पुस्तक का प्रकाशन करवाकर श्री पार्श्वनाथ पचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव (श्री दिगम्बर जैन श्रादर्श महिला विद्यालय श्री महावीरजी अतिशय क्षेत्र) के जन्म कल्याणक के शुभावसर पर दिनाक १२-२-८४ को श्री १०८ आचार्य सन्मतिसागरजी महाराज (अजमेर) के कर कमलो द्वारा हजारो की संख्या में उपस्थित जन-समुदाय के बीच करवाया। समारोह मे साधु सघ के अलावा श्रीमान् निर्मल कुमारजा जैन (सेठी) श्री माणकचन्दजी पालीवाल, श्री मदनलालजी चादवाड श्री त्रिलोकचन्दजी कोठ्यारी, श्री प्रकाशचन्दजी पाडया आदि श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के पदाधिकारी उपस्थित थे। समारोह मे स्व० आदरणीय पण्डित साहब श्री बाबूलालजी जमादार, श्री भरतकुमारजी काला, श्री काका हाथरसी आदि महानुभावो ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री माणकचन्दजी पालीवाल ने की। इस प्रकार समिति के द्वारा पचम पुष्प 'पुनर्मिलन' पुस्तक का विमोचन भी बहुत ही सुन्दर रहा। श्री शीतलनाथ पूजा विधान (संस्कृत) ग्रन्थमाला समिति ने षष्ठम पुष्प "श्री शीतलनाथ पूजा विधान' कन्नड से सस्कृत भाषा मे अनुवादित करवाकर अलवर (राजस्थान) मे आयोजित पचकल्याणक मे जन्म कल्याणक के शुभावसर पर श्री १०८ प्राचार्य सन्मतिसागरजी महाराज (अजमेर) के करकमलो द्वारा दिनांक ५-३-८४ को बडी धूमधाम से इसका विमोचन करवाया । शाति विधान के समान ही यह शीतलनाथ विधान है। इस विधान की पुस्तक के प्रकाशन से उत्तर भारत के लोग भी अव इससे लाभ उठा सके, जो कि कन्नड भाषा नही जानते है। वर्षायोग स्मारिका श्री १०८ प्राचार्य सन्मतिसागरजी महाराज (अजमेर) ने वर्ष १९८४ का चातुर्मास जयपुर मे किया । ग्रन्थमाला समिति ने इस शुभावसर पर एक बहुत ही सुन्दर वर्षायोग स्मारिका का प्रकाशन करवाकर बुलियन बिल्डिग, जयपुर (राजस्थान) मे विशाल जन-समुदाय के बोच दिनाक २८-१०-८४ को श्री १०८ प्राचार्य सन्मतिसागरजी महाराज (अजमेर) के कर कमलो द्वारा विमोचन करवाया। इस स्मारिका मे वर्षायोग मे प्रायोजित कार्यक्रमो के चित्रो की झलक प्रस्तुत की गई है और अलग-अलग विषयो पर ही ज्ञानोपयोगी साधूम्रो द्वारा लिखित लेख प्रकाशित किये गये है। समारोह की अध्यक्षता श्रीमान् ज्ञानचन्दजी जैन (जयपुर) ने की थी। श्री सम्मेद शिखर माहात्म्यम परमपूज्य श्री १०८ प्राचार्यरत्न धर्मसागरजी महाराज ने विशाल सघ सहित अपना
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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