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लघुविद्यानुवाद
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चौतीसा यन्त्र न. १७२ । यह यन्त्र क्रियाण मध्ये रखे, लाभ होय । कच्ची ई ट मे लिख, गद्दी के नीचे गाडे, लाभ अवश्य होय ॥१७२।।
यत्र न० १७२
(G२७|२१| | (+|१२५ १८२६4)
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यायायाय)
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यन्त्र न १७३
यन्त्र न १७४
२४
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नाकिनी डालिनी, मन, भमानर नही.पाटन पर रिमोट :: माटो गले में याये ।।१७।।