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________________ ३३८ लघुविद्यानुवाद यन्त्र न० १३६ उच्चारण निवार यत्र ॥१३६।। २१ । यन्त्र न. १३७ - दत्त | देवदत्त APP ដ 23 stoot इस यन्त्र को ताबे के पत्रे पर खुदवा कर मकान की चारो दीवार मे लगा देवे, तो धन की प्राप्ति, उपद्रव की शाति होती है ।।१३७।। TA देवदत्त देवदत्त यन्त्र न. १३८ क ख ग घ च ज झ भ २६ २७ २८ २५-३०३१-३२ टठ ४५४३८ - १८४ डटण तथदध ४२ न प फ भ र य र ल व शस २५.२४ २३ २२. 38 ४-१८ ६१३॥ AM २१२० ५६ ५७ ५८ ६२३ H odar अा उऊ * * श्री मरिण भद्र महा यन्त्र से यन्त्र न १०० का है। मरिणभद्र महाराजा का है। जो मनुष्य ये यन्त्र दीवाली के दिन छद्र तप कारी सुगन्धि द्रव्य मे रात में लिखे, जो चरणोटो का जड हो वहाँ जाकर यन्त्र को गाडे, फिर दूसरे दिन सुबह ब्राह्म मुहर्त मे निकाल लेना। मौनपूवक घर पाकर इस यन्त्र का हमेशा श्रद्धा से पूजन करे, तो उसके घर मे लोला लहेर और मगलाचार होता रह । अटूट लक्ष्मी का आवागमन होता है ।।१३८।। २१ लल्स ५६७८ .४ आ / ८५ ८५ * ३ २५ / ०६४ ८७ ५५ * ३७२७१७०६४ ६७६६६५ अ५०४५ ४८४४४६ ५५४४ ४३ ४२ ४१ ओअॐ
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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