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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न० १३२
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इस यन्त्र को रविवार के दिन लिख कर वाधे, तो आधा शीशी जाय ॥१३२॥
यन्त्र न०१३३
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जंजक्रांॐ सं माहहीन
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क्रांगभी या यों ॐझाँऑक्ला घों पीभुभु फट् स्वाहा
चलपः वीमामां/ ठंठं सांठींती | गंगंड डो। /गंजंतुंमं हं शतझावमशहा
फल-कोई व्यक्ति घोखा देकर जहर पिलावे, तो चल छः लिख कर धोकर पिलाव ता उतरे ॥१३३।।
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