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________________ ३२४ यत्र न० १०१ इस यन्त्र को लिखकर पास मे रखने से सर्वग्रह शात होते है ।। १०१ ॥ नवग्रह युक्त बीसा महा शुक्र लघुविद्यानुवाद मूल यन्त्र — ॐ श्री ह्री क्ली अष्टगंध से उस पर २१०० जाप करना, महा लक्ष्मयै शनि मंगल क्ष्मों इस पत्र को लिखकर पास में रक्खने से सर्वग्रह शात होते है ॥ १०२ ॥ गुरु HAAAAAMAA नम चन्द्र ܘ यत्र न० १०२ "महा लक्ष्मै नम " भोजपत्र पर रोज एक यन्त्र लिखना धूप दीप फूल फल नैवेद्य धरना, पीला वस्त्र, पीली माल| ગ્ नमः छु 30 ३ 2 रखनी चाहिये । इस प्रकार ६२ यत्र ६२ दिन मे लिखना । ६३वॉ यत्र चाँदी के पत्ते का बनवाना | उसके पीछे ६२ यन्त्र भोजपत्र के रखसा | श्री सुक्त ( ) पूजा करनी चाहिये ॥ १०२ ॥ हा
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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