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________________ लघुविद्यानुवाद शुद्ध कलम से बनाकर एक अक छट्टो खाने है वहा से शुरुआत करे । सातवे खाने में दो का अक दूसरे मे तीन का क इस तरह चढते अक लिखना चाहिये और बाद मे चन्दन या कु कुम से पूजा कर पुष्प चढाना धूप खेय कर नैवेद्य फल चढा कर हाथ जोड लेना चाहिये यही इसका विधान है । यत्र लिखते समय जहाँ तक हो सके श्वास स्थिर रख मौन रहकर लिखना चाहिए और हो सके तो नित्य धूप कर नमन कर लेना चाहिए ॥२॥ २५८ वशीकरण पंदरिया यन्त्र ॥३॥ यह पदरिया यत्र भोज पत्र या कागज पर पच गध से लिखना चाहिए। विशेषकर शुक्ल पक्ष में पूर्व तिथि के दिन शुभ नक्षत्र में घी का दीपक सामने रख, धूप खेयकर चमेली की कलम से ६ १ ८ यन्त्र न ३ ७ ५ ३ ४ २ ४ यन्त्र न ४ ७ ५ ३ ६ १ लिखना और इस यत्र को पास रखना चाहिए। शीघ्र से सिद्ध करना है तो जिस काम पर कानू करना है प्रात काल मे यन्त्र को धूप से खेवे और कार्य का नाम लेवे । यन्त्र को नमन कर पास में रख ले कार्य सिद्धि हो जाती है ॥३॥ उच्चाटन निवारण पन्दरिया यन्त्र ||४| यह यन्त्र उच्चाटन या उपद्रव को नाश करने मे सहायक होता है। प्राचीन समय से ऐसी पद्धति चली थाती है कि इस यत्र को दिवाली के दिन दुकान के दरवाजे पर लिखते है और इस यत्र को लिखने का कारण यही है कि भय का नाश हो और सुख सम्पदा श्रावे । लिखते समय धूप दीप रखना और सिन्दूर से चमेली की कलम से लिखना चाहिए। दरवाजे के सिरे पर कोई मालिक स्थापन हो तो उसके दोनो तरफ लिखना । स्थापना न हो तो दरवाजे मे जाते दाहिनी तरफ ऊपर
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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