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________________ लघुविद्यानुवाद २५: मे ७ लिखे, फिर १ नम्बर के कोठे मे ८ लिखे, फिर ८ नम्बर के कोठे मे ६ लिखे, इस प्रकार यन्त कोष्टक भरने से १५ का यन्त्र तैयार हो जाता है। इसी प्रकार नो कोठे के यन्त्र लिखने की विधि है अन्य १८ या २१ का या ३३ जो भी जरूरत हो, वह इसी प्रकार लिखकर तैयार करे। यन्त्र लेखन विधि समाप्त । यंत्र महिमा वर्णन जिरण चोवीसेपय प्रगमेवि, सह गुरु तणा वचन निसुरणेवि । यंत्र तणो महिमा अतिघणो, भावे बोलू भवियरण सुरणो ॥१॥ सोले कोठे लखिये वीश, सघला भय टाले जगदीश । अठावीसवाँ रोग भय हरै, छत्रीशे युति जय करे ॥ २ ॥ त्रीशे वलि सायंरिण (शाकिनी)नाशंति, वत्रीशे सुख प्रसवते हुति । देवध्वजा जो लखिये इसे, पर चर्चा भय न होवे किमे ॥ ३॥ घर वारणें जो लखिये एह, कामण नव पराभवे तेह । शाकरिण संहारनि हुवे तिहां, चोतीसो यंत्र लखिये जिहाँ ।। ४ ।। चालीशे शीश रोग टले, पागे वयरी हेला दले। अनेवली ठाकरवे बहुमान, वसुधावलि वाधारे मान ॥ ५ ॥ वासठे बंध्या गर्भ जु धरै, ऐसा वयण सद्गुरु उच्चरै। चौसठ रो महिमा छे घणो, मार्गे भय न होवे कोई तरणों ॥ ६ ॥ वारिभय रिपू शाकिणी तरणा, चौशठना नहीं प्रणं । बावत्तरो भूरू भूरि जेह, भुझे नर जय पाये तेह ॥ ७ ॥ पच्चासी पंथे भय हरे, अठयोत्तरि सो शिव सुख करे। वीशोत्तर सौ नयणे निरखंत, प्रसव वेतन तेब विहुत ।। ८ ।। बावनशोनो ऊली नीर, मुख धोवे होवे वाहलो वीर । सत्तरि भय नो महिमा अनन्त, तुच्छ बुद्धि किम जाणे जंत ॥६॥
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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