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________________ लघुविद्यानुवाद २४७ वीच मे क्ली बीजाक्षर की स्थापना करके ध्यान करना चाहिये । इस मन्त्र का जाप करते समय निम्न बातो को ध्यान मे रखना आवश्यक है :-- १ सर्व प्रथम भकुटी के बीच मे योनि मुद्रा की कल्पना करके उसके बीच मे क्ली बीजाक्षर को स्थापना कर उसका ध्यान करना चाहिये । २. ध्यान मे इसका वर्ण लाल रग का बनाकर ध्यान करना चाहिये। ३. प्रात काल दो घण्टे तक इसका ध्यान करना चाहिये । ४ स्वस्थ मन शात चित्त होकर ही ध्यान व जप किया जाना चाहिये । ५. दाहिने हाथ की कनिष्ठा अगुली पर माला फेरनी चाहिये। ६ दण्डासन का उपयोग व दक्षिण दिशा की अोर मुह रखना चाहिये । ७ प्रवाल (मू गा) की माला का प्रयोग करना चाहिये। ८ ६ महिने मे यह बीज मन्त्र सिद्ध हो जाता है। उसके बाद वशीकरण व आकषण आदि मन्त्र का प्रयोग करना चाहिये। वाक् सिद्धि मंत्र मन्त्र :-ॐ नमो लिंगोद्भव रुद्र देहि में वाचा सिद्ध बिना पर्वतं गते, द्रां, द्रों, द्र, द्र, द्रौ, द्रः। विधि :-मस्तक पर बाया हाथ रखकर एक लक्ष जाप करे तो वचन सिद्ध हो। मन्त्र .-ॐ णमो अरिहंताणं धम्म नाय गाणंधम्म सार हीरणं धम्म वर चाउरंग चक्क वट्ठीरणं मम् परमैश्वर्ये कुरु कुरु ह्रीं हंसः स्वाहा। विधि :-पूर्व की ओर मुख करके सफेद आसन, सफेद माला व सफेद वस्त्र पहनकर शुभ मुहर्त मे जाप शुरू करे। मस्तक पर वाया हाथ रखकर एक लक्ष जाप कर, फिर एक माला रोज जपे तो वाक सिद्धि होती है। दाद का मंत्र मन्त्र :--- गुरुभ्यो नमः देव देव पूरी दिशा मेरुनाथ दलक्षना भरे विशाह तो राजा वैरधिन याज्ञा राजा वासुकी के पान हाथ वेगे चलाव । विधि -इस मन्त्र से पानी २१ बार मन्त्रित गर पिलाने से दाद का रोग दर होता है।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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