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________________ २२६ लघुविद्यानुवाद भिदि २ ॥ सर्व राष्ट्रमारि छिदि २ भिदि २ ॥ सर्व देशमारि छिदि २ भिदि २ ॥ सर्व विपमारि छिदि २ भिदि २ । सर्व क्रूररोगवेतालशाकिनीडाकिनीभयं छिदि २ भिदि २ सर्व वेदनीय छिदि २ भिदि २ ।। सर्व मोहनीय छिदि २ भिदि २ ।। सर्वापस्मार छिदि २ भिदि २ ॥ सर्व दुर्भग छिदि २ भिदि २ ॥ ॐ सुदर्शन महाराज चक्र विक्रय तेजो बलशौर्य वीय वश कुरु २ सर्व जनानन्द कुरु २ । सर्व जीवानन्द कुरु १ । सर्व राजानन्द कुरू २ | सर्व भव्यानन्द कुरु २ । सर्वं गोकुलानन्द कुरु २ । सर्व ग्राम नगर खेट खर्वट मटम्ब पत्तन द्रोणमुख जनानन्द कुरु २ । सर्व लोक सर्व देश सर्व सत्त्व वश कुरु २ । सर्वानन्द कुरु २ । सर्वपाप हन २ दह २ पच २ पाचय २ कुट २ शीघ्र २ । सर्ववश मानय हू फट् स्वाहा । यत्सुख त्रिषु लोकेषु व्याधिर्व्यसन वर्जित । अभय क्षेम मारोग्य स्वस्तिरस्तु विधीयते । श्री शातिरस्तु शिवमस्तु जयोस्तु नित्यमारोग्यमस्तु तव दृष्टिसुपुष्टिरस्तु कल्याणमस्तु सुखमस्त्वभि वृद्धिरस्तु दीर्घायुरस्तु कुलगोत्रघन धान्यम् सदास्तु । ॥ इति ॥ इस वृहत् शान्ति मन्त्र का उच्चारण करते हुए मन्त्र साधक जिनेन्द्र प्रभु पर जल धारा अवश्य करे । तब मन्त्र साधन करने मे किसी प्रकार का भय उत्पन्न नही होगा । पद्मावती ग्रह वानन मंत्रः ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते श्रीमत् पार्श्वचन्द्राय त्रैलोक्य विजयालकृताय, सुवर्ण वर्ण धरणेन्द्र नमस्कृताय नीलवर्णाय, कर्मकान्तारोन्मूलन मत्त मत्तङ्गजाय, ससारोतीर्णाय, प्राप्त परमानन्दाय, तत्पादारविन्द सेवा है वाक चचरीकोप मे मानव देव-दानव विनम्र मलि मुकुट मण्डली मयूख मजरी रजिनात्रोपीठे सेवक जन वाच्छितार्थं पूरणाधरीकृतकचिन्तामणि कामधेनु कल्प लते विकएज्जपाकुसुमोदितार्क पद्मरागारुण देह प्रभाभासुरीकृत समस्ताकाशादिक चक्रवाल लीला निर्दलित रौद्र दारिद्रोपद्रवे शरणागत त्राणकारिणी, दैत्योपमगं निवारिणी भूत-प्र ेत-पिशाच-यक्ष राक्षसाकाश जल, स्थल देवता, दोप निर्णाशिनी मातृ मुग्दल चेटकोग्र ग्रहण शाकिनी योगिनी वृन्द वेताल रेवती पीडा प्रमदित परविद्या मन्त्र यन्त्रोच्छेदिनी पर सैन्यविव्वसिनी स्थावर जगम विष सहारिणीसिंह शार्दूलव्याघ्रोरग प्रमुख दुष्टसत्व भयापहारिणि कास श्वास, ज्वर भगन्दर श्लेष्मवातपित्त कडूकामन क्षयो दुम्बर
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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