SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघुविद्यानुवाद २१५ मन्त्र :---ॐ नमो भगवते विश्व रूपाय कामाख्याय सर्व चितितं प्रदाय मम लक्ष्मी प्राप्त कराय स्वाहा । विधि :-(इस मन्त्र की विधि नही है)। मन्त्र :-ॐ नमो अर्हते भगवते प्रक्षोरणाशेष-दोषाय दिव्य-तेजो-मूर्तये नमः श्री शान्तिनाथाय शान्ति कराय सर्व विघ्न प्रणाशनाय, सर्वरोगापमृत्युविनाशनाय, सर्वपरकृतक्षुद्रोपद्रव नाशाय विनाशनाय सर्व क्षाम डामर विनाशनाय ॐ ह्रां ह्रीं ह्रह्रौ ह्रः अ सि आ उ सा देवदत्तस्य सर्व शान्ति कुरु २ स्वाहा। विधि :-अनेन मन्त्रेण वार ३ व ७ गधोदक पढि शिरसि निक्षियेत् । मन्त्र :--ॐ उच्चिष्ट चांडालिनी सुमुखी देवी महा पिशाचिनी ह्रीं ठः ठः स्वाहा। :-बार १०८ दिन पहले जीमने बैठता ग्रास १ बार ३ जप धरती मेलता पानी चलु ३ धरती मेलता दुजै दिन ग्रास ३ जीमतॉ बीच झूठे मुह बार १०८ जप पानी चलु ३ मत्र पढि पीना। फिर भोजन करे दिन : इस प्रकार कर पीछे से पाखाने गैठता, बार १०८ जप करना। पीछे दिन मशान ऊपर बैठ जप करना प्रत्यक्ष भवति । मन्त्र :-ॐ क्म्य , ॐ रम्य , ॐ त्म्य , ॐ म्म्यं , ॐ भव्य , ॐ ह म्यू, ॐ श्म्य, ॐ क्षम्य , ॐ रम्यं , ॐ रुम्ल्व्य । विधि .-ये मन्त्र अष्टगधेन लिख पूजा पूर्वक मस्तक पर रखे, लाभ हो जाये, जाप करे विधि पूर्वक लक्ष्मी की प्राप्ति होय । मन्त्र :-ॐ नमो आदि योगिनी परम माया महादेवी शत्र, टालनी, दैत्य मारिनी मन वांछित पूरणी, धन प्रान वृद्धि प्रान जस सौभाग्य प्रान आने तो प्रादि भैरवी तेरी आज्ञा न फुरै । गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो । ईश्वरो मन्त्र वाचा। विधि -मन्त्र जपै निरन्तर १०८ बार विधिपूर्वक लक्ष्मी की प्राप्ति होय । सर्वकार्य सिद्ध होय। वार २१-१०८ चोखा मन्त्रि जिस वस्तु मे राखै अक्षय होय । मन्त्र -ॐ नमो गोमय स्वामी भगवउ ऋद्धि समो अक्खीरण समो पारण २ भरि २ पुरि २ कुरु २ ठः ठः ठः स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy