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प्रकाशकीय
मुझे हार्दिक प्रसनता है कि श्री दिगम्बर जैन कुथु विजय ग्रंथमाला समिति जयपुर (राजस्थान) द्वारा प्रकाशित सर्वजन प्रिय प्रथम पुष्प लघुविद्यानुवाद ग्रथ का द्वितीय सस्करण के रूप मे प्रकाशन होकर इस ग्रंथ का विमोचन परमपूज्य श्री १०८ गणधराचाय कु थु सागरजी महाराज के कर कमलो द्वारा करवाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है ।
पूर्व मे प्रकाशित लघुविद्यानुवाद ग्रंथ का प्रकाशन वास्तव मे सभी को लाभदायक सिद्ध हुम्रा है | लोगो ने ग्रथ मे प्रकाशित सामग्री के माध्यम से अनेको रोग शोक प्राधि व्याधियों से मुक्ति प्राप्त की है । इसलिये सभी ने इस ग्रथ को प्राप्त किया और अल्प समय मे प्रथम पुष्प के रूप मे प्रकाशित इस ग्रंथ की प्रतिया समाप्त हो गई । इसके बाद ग्रथ भिजवाने हेतु प्रतिदिन श्रनेको पत्र ग्र थमाला के कार्यालय पर प्राप्त होने लगे । लेकिन हम क्षमा चाहते है उन सभी बन्धुओ से जिनको हम इस ग्रथ, ग्रथ को प्रतिया समाप्त होने के कारण उपलब्ध नही करा सके। लेकिन इस स्थिति से परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कु थु सागरजी महाराज को अवगत कराया गया ।
गणधराचार्य महाराज परम दयालु एव वात्सल्य मूर्ति है । इतने विशाल सघका चाल करते हुए सदैव अपने ज्ञान ध्यान तथा तप में लीन रहते है । फिर भी विषय पर गौर फरमाकर ग्रंथ की अत्यधिक माग को ध्यान मे रखते हुए लोगो के लाभाथ अपने अमूल्य समय मे से समय निकालकर पुन इस ग्रंथ का सशोधन कार्य किया और पुनः प्रकाशित करने की अनुमति प्रदान की ।
लघुविद्यानुवाद ग्रंथ के प्रथम संस्करण मे कुछ ही विषयो को छोडकर सभी सामग्री लाभप्रद थी। लेकिन उन विषयो को पकडकर लोगो ने अपने-अपने तरीके से इस ग्रंथ का काफी