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________________ लघुविद्यानुवाद विधि :- इस मन्त्र से गुड (गुल) २१ बार मन्त्रित कर खिलाने से ७ दिन तक तो वाला का रोग दूर होता है । वाला माने नेहरवा रोग। मन्त्र :-ॐ नमो उज्जेन नगरी सीपरा नंदी सिद्धवड़ गंधरप मसान तहां बसे जापरो जापराग बे बेटा भूतिया, मेलिया अहो भूतिया अहो मलिया अमकानै घर पाखान नाख नाख ॐ अहो मलिया अमुकाने घर विष्टानाख विष्टानाख ॐ ह्रीं ठः ठः ठः स्वाहा । इस मन्त्र की विधि निकाल दी गई है क्योकि किसी सज्जन पुरुष की कोई हानि नही हो इसलिये। मन्त्र :-ॐ नमो मोहनी महामोहनी मुजने देष इय नर धारी सर्व जन वश्य कुरु २ ॐ श्री क्लीं श्रीं महा मोहनी देवै नमः । विधि :-रवि ग्रहण के दिन वा कालि चतुर्पदो के दिन १०८ वार मन्त्र का जाप्य करना, घी का दीपक जलाना, गुगुल धूप खेना तो देवी प्रसन्न होती है । २१ दिन मे साक्षात प्रत्यक्ष होती है। मन्त्र :-ॐ 2 2 टे मार दें स्वाहा । विधि :--जहा चौरस्ते की धूलि को लेकर मध्यान्ह समय मे लेकर इस मन्त्र से १०८ बार मन्त्रित करके, घर मे डालने से चहे सब भाग जाते है । एक भी चूहा नही रहता है। मणि भद्रादि क्षेत्रपालों का मन्त्र ॐ नमो भगवते ह म्ल्व्यू ह्रा ही ह ह्रौ ह्र माणि भद्र देवाय भैर वाय कृष्णा वर्णाय रक्तोष्टाय, उग्र दष्ट्राय त्रिनेत्राय, चतुर्भुजाय, पाशाँ कुशफल वरदे हस्ताय नागकर्ण कुण्डलाय, शिखा यज्ञोपवीत मण्डिताय ॐ ह्री झा झा कुरु कुरु ह्री ह्री आवेशय आवेशय ह्रौ स्तोभय स्तोभय हर हर शीघ्र शीघ्र आगच्छ आगच्छ खलु खलु अवतर अवतर क्षम्ल्व्य हम्ल्व्य" म्ल्व्य चन्द्रनाथ ज्वालामालिनी. चडोन पार्श्वनाथ तीर्थङ्कर धरणेन्द्र पद्मावति प्राज्ञादेव नाग यक्ष, गधर्व, ब्रह्म राशस रण भता दीन रति काम, वलि काम, हतु काम, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र, भवातर, स्नेह, वैर, सबधीसर्व ग्रहान्नावेश्य २ नाग ग्रहान्नावेशय २ गधर्व ग्रहान्नावेशय २ आकय २ व्यतर ग्रहान्नाकर्षय बना राक्षस ग्रहान्नाकर्षय २ चेटक ग्रहानाकर्षय २ सहस्त्र कोटि पिशाच ग्रहानाकर्षय २ अवतर २ शीघर धन धन २ कम्पय २ कम्पावय २ लीलय २ लालय २ लोलय नेत्रं चालय २गात्रं चालय २ सर्वात चालय २ प्रो को ह्री गगनगमनाय प्रागच्छ २ कार्य सिद्धि कुरु २ दुष्टाना मुख स्तभय २ सर्व
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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