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________________ विधि मन्त्र विधि लघुविद्यानुवाद - इस मन्त्र का स्मरण करने से विसुचि (हैजा ) रोग का स्तम्भन होता है । - ॐ ज्वल २ प्रज्जवल २ श्री लंका नाथ की प्राज्ञा फुरइ । - इस मंत्र का स्मरण करने से श्रग्नि प्रज्ज्वलित होती है । मन्त्र :- ॐ अग्नि ज्वलइ प्रज्जवलइ डभई कट्ठह भारु मई वे सन रुथं भियउ अग्नि हिंसा | - अनेन मत्रेण कटाहा मध्याद्वटका कृष्यते । १३७ वधि मन्त्र :- ॐ पुरुषकाये अद्योराये प्रवेग तो जाय लहु कुरु २ स्वाहा । विधि :- इस मंत्र से सरसो २१ बार जप करके सिर पर धारण करे तो सर्व कार्य सिद्ध होता है । मन्त्र :- ॐ नमो कृष्ण सवराय वल्गु २ ने स्वाहा । विधि :- इस मंत्र को हाथ से २१ बार स्वय को मन्त्रित करके जिसको भी स्पर्श करे वह वश में हो जाता है। मन्त्र मन्त्र - ॐ भगवती काली महाकाली स्वाहा । विधि - सवेरे मुँह धोकर इस मंत्र से हाथ मे पानी लेकर ७ बार मंत्रित करे और फिर जिस व्यक्ति के नाम से पीवे वह व्यक्ति वश मे हो जाता है । सात दिन तक इसी प्रकार जल पी । मन्त्र — ॐ नमो भगवती गंगे काली २ महाकाली स्वाहा । विधि - वाम पाव के नीचे की मिट्टी को वाम हाथ से ग्रहण करे मंत्रित करे फिर अपने मुख पर लगावे ( मुख खरद्यते) फिर जैसा राजा को कहे, वैसा ही राजा करे । फिर उस मिट्टी को ७ बार राज कुल मे प्रवेश करे और - ॐ नमो मोहिणी महामोहिणि राजा प्रजा क्षोभरणी पुरपट्टण मोहणी त्रिपुरा देवीकपाल से प्रमृत्तटिलोनीतधरे दुष्ट रंजनमुस्छ भरग स्वाहा । - सात या एकवीस बार मंत्र पढकर तिलक करे, मोह न होय । विधि मन्त्र :- ॐ नमो रुद्राय गंधग रंगि स्वाहा । विधि - श्वेत सरसो को इस मन्त्र से ६० बार मन्त्रित करके जिसके माथे पर डाले तो सवशी भवति विशेषत ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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