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________________ लघुविद्यानुवाद १३५ विधि :-इस मन्त्र को हरिद्रा (हल्दो) के रस से भोज पत्र पर लिखकर एक मटके मे लिखित भोजपत्र को डाल कर चौ रास्ते पर उस मटके को गाड देवे तो गिरता हुमा गर्भ रुक जाता है। देहली को धोवरण, तलवार का धोवरण पीवे तो गर्भ नही गिरता है। मन्त्र :-ॐ चिटि चांडालि स्वाहा । विधि :-इयं मुपोषितेन् वार १०८ जाप्यातत. स्त्रीणा सून्य भवति । कुकु गोरोचनाभ्याभूर्जे लिखित्वा कठा दौ वध्यते । मन्त्र :-ॐ चामुंडे एष कोस्थंथंभामि व्रज कीलकेन ठः ठः स्वाहा । विधि :-काले डोरे को उल्टा वट कर इस मन्त्र को २ बार बोलकर ७ गाठ डोरे मे लगावे फिर कमर मे बाधे मूल नक्षत्र या जैष्ठा नक्षत्र मे तो गर्भ गिरना रुक जाता है । नौ महीने समाप्त हो जाने पर उस डोरे को छोड देना चाहिए तव ही बच्चा होगा । जब तक डोरा कमर मे बन्धा रहेगा तब तक प्रसूति नहीं होगी। मन्त्र .-ॐ चक्र श्वरी चक्रधारिणी शंख गदा हस्त प्रहररणी अमुकस्य वदि मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा । विधि ---इस मन्त्र से तेल सात बार मन्त्रित करके सिर पर डालने से वदि मोक्ष । मन्त्र :-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कलिकुण्ड दंड स्वामिने सम् वंदि मोक्षं कुरु कुरु श्रीं ह्रीं क्लीं स्वाहा। विधि .-सात दिन तक सध्या के समय निश्चय से जप करे तो शीघ्र ही बन्दी मोक्ष होता है, एक माला नित्य फेरे। मन्त्र :-ॐ हरि हरि तिष्ट तिष्ट तस्करं बंधेमि माचल २ ठः । विधि -इस मन्त्र से अपने वस्त्र को मन्त्रित कर एक गाठ लगावे तो मार्ग मे चोर का भय नही रहता। मन्त्र .-ॐ नमो सवराणं हिली हिली मिलि मिलि वाचायै स्वाहा । विधि -इस मन्त्र का २१ बार स्मरण करने से वचन चातुर्य होता है। मन्त्र :-ॐ मालिनि किलि किलि सरिण सरिण। विधि :-इस मन्त्र का स्मरण करने से सरस्वती की प्राप्ति होती है । मन्त्र -ॐ कर्ण पिशाची अमोध सत्य वादिनो मम् कर्णे अवतर अवतर अतीताः नागत वर्तमानं दर्शय दर्शय ऐहि ह्री कर्ण पिशाचिनी स्वाहा ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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