SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघु विद्यानुवाद मन्त्र : - वाग्घह रहोज्जुत्तो सीहे हिं परिवारिक एभ्य नंद गछा मोकु कुराणां मुखं वंधामि स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को २१ बार पढता जाय और कपडे मे गाठ देवे तो पागल कुत्ते का मुख बध हो जाता है, फिर किसी को भी नही काटता है । मन्त्र -- धतूरे वाहि ऊहिं महादेवी उपाइ ऊहिं धरि गरुड बच्चाइ ऊहिं धरि गरुड गरुड । - २१ बार जलमभिमन्त्रय पीयते धतूरउ चूरति । - काली पंखाली ख्यालि फट् स्वाहा । विधि मन्त्र विधि - इस मन्त्र से मक्खिया भागती है । १२७ मन्त्र —उडक वेडि जागलि जाहठर ल्लइ पारिपरे ल्लइ जाहः काली कुरड़ी तु हु फिट् काल काले सरी उग्र महेसरी पछारु साधरिण शत्रु नाशिनी । विधि मन्त्र :- समुद्र २ माहिदीपु दीप माहिधनाढ, जीव दाढ़ कीड़उ खाउ दाढ़ कीडउ न खाहित अमुक तराइ पापिली जई । विधि -- इस मन्त्र से दाढ को २१ बार मन्त्रित करे तो दाढ पीडा शान्त होती है । - रविवार को गोबर से मण्डल करके उसके ऊपर खड़ा रहे फिर दर्भ लेकर इस मन्त्र से भाडा २१ बार देवे तो कृमि दोष मिटता है । मन्त्र :- ॐ इटि त्तिटि स्वाहा । विधि :-- इस मन्त्र को १०८ बार जप कर ७ बार हाथ से झाडा देवे तो काख विलाई नष्ट होती है । मन्त्र : मन्त्र विधि - कुकुहा नाम कु हाडउ पलि घडि उपलासइ घडिउ भारि घडिउ भारसइ घडिङ सवरासवरी मंत्रेण तासु कुहाडेग छिन्न वलि त्रूटे व्याधि । विधि :- इस मन्त्र को ७ बार जपने से काग काख विलाई नष्ट होती है ।" - ॐ चक्रवाकी स्वाहा । - मनुष्य के प्रमाण सात वड डोरा बनावे, फिर इस मन्त्र से १०८ बार मन्त्रित करे गुड के अन्दर गुटिका भक्षापयेत् वालका नश्यति ।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy