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________________ लघुविद्यानुवाद विधि . - धनुष और पाच बारण लेकर मन्त्रित करे इस मन्त्र से फिर चारो दिशा मे एक-एक बार छोड देवे और एक बाण आकाश मे छोडे फिर धनुर्वात रोगी के देखने से धनुर्वात शात होता है । और कोई भी बालक को भी देखे । मन्त्र :-- - र्ह छाया पुरुषस्य र्क्षः क्षः ३ र्क्षः क्षः क्षः क्षः क्षः । विधि · - इस मन्त्र से प्रधाहेडा दूर होता है । विधि १२३ मन्त्र :- ॐ नमो भगवते ईश्वरयक्षाय गौरी विनाय कषए सुष सहिताए मालाधराय चंद्र शोभिताय तृतीय ज्वर वर प्रदाय गमय गमय स्फोटय २ त्रोटय २ परमेश्वरीस्य श्राज्ञायाम रहिरे तृतीय ज्वर जइ पीडा करइ । — इस मन्त्र से गुगुल को १०८ बार मन्त्रित करके, फिर रोगी के सिर पर महेश्वर है ऐसा विचार करता हुआ रोगी के सामने उस गुगुल को जलाने से तथा पानी कलवानी करके पिलावे तो तृतीय ज्वर जाता है । मन्त्र :- ॐ नमो भगवतः क्षेत्रपालं त्रिशूलं कपालं जटा मुकुट वद्ध शिरो डमरूक शोभितं उग्रनादं जियं गोगिरगी जय जया बहुला संद विकट नै मुखं जयंतु कुंडल विशालं । इससे दर्भ हाथ मे लेकर रोगी को भाडा दे तो ज्वर का नाश होता है । विधि मन्त्र :- ॐ नमो भगवते काश्यपस्ताय वासुकि सुवर्ण पक्षाय वज्र तुंडाय महागुरुडाय नमः सर्वलोकनखांतर्गताय तद्यथा हन २ हनि २ भन २ भनि २ सबलूतान ग्रस २ चर २ चिरि कुरु २ घोड़ासान गृन्ह २ लोह लिंग छिंद भिद २ गंडमाल कीटां भक्षे स्वाहा । विधि - तीक्ष्ण शस्त्रेण उजयेत गडमाला नश्यति । मन्त्र :- ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय पद्मावती सहिताय शंशाक गोक्षीर धवलाय ष्टकर्म निर्मूलनाय तत्पाद पंकज निषेविनी देवी गोत्र देवत्ति जलंदेवति क्षेत्र देवति पाद्रदेवति गुप्त प्रकट सहज कुलिश अंतरीषयत्र स्थाने मठे श्रारा में नदी कुल संकटे भूम्यां श्रागच्छ २ आणि २ बांधि २ भूत प्र ेत पिशाच मुद्गर जोटिग व्यंतर एकाहिक द्वयाहिक चातुर्थिक मासिक वरसिक शीत ज्वर दाह ज्वर श्लेष्म ज्वर सर्वाणि प्रवेश २ गात्राणि
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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